दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं. कुछ ऐसे जिन्‍हें लोगों से मिलना-जुलना और बातचीत करना काफी पसंद होता है. वहीं कुछ लोग बेहद शर्मीले मिजाज के होते हैं. इन्‍हें लोगों से मिलना-जुलना बहुत पसंद नहीं होता. भीड़, मंच या मीटिंग से डर लगता है. ऐसे लोग बहुत इन्‍ट्रोवर्ट होते हैं और इनमें दूसरे लोगों की तुलना में कॉन्फिडेंस की कमी होती है. कई बार ऐसे लोग Social Anxiety के शिकार हो जाते हैं. सोशल एंग्‍जायटी एक मा‍नसिक स्थिति है. हालांकि परेशान होने की बात नहीं है क्‍योंकि कुछ दवाओं और काउंसलिंग के जरिए इस समस्‍या को दूर किया जा सकता है. यहां जानिए इस समस्‍या से जुड़ी खास बातें.

किन कारणों से होती है ये परेशानी? 

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ज्‍यादातर मामलों में सोशल एंग्‍जायटी की समस्‍या बचपन से ही डेवलप होते देखी गई है. सोशल एंग्‍जायटी के कई कारण हो सकते हैं जैसे-

  • परिवार में अगर किसी व्‍यक्ति को ये समस्‍या है तो बच्‍चे में ये समस्‍या हो सकती है.
  • घर में अगर कोई ऐसी घटना घटी है, जिसका व्‍यक्ति के दिमाग पर गहरा असर पड़ा हो, तो वो सोशल एंग्‍जायटी का शिकार हो सकता है.
  • अगर किसी बच्‍चे को उसके परिवार के लोग बहुत ज्‍यादा कंट्रोल करके रखते हैं, या क्रिटिसाइज करते हैं. तब भी उस बच्‍चे में ये समस्‍या देखने को मिल सकती है.
  • किसी बीमारी के कारण भी सोशल एंग्‍जायटी की समस्‍या हो सकती है.

इन लक्षणों को देखकर हो जाएं अलर्ट

  • Public Speaking या Group Discussion से घबरा जाना
  • किसी के सामने जाने से झिझकना
  • कांपती हुई आवाज़ में बात करना
  • रिजेक्‍शन, बेज्‍जती का डर
  • दूसरों के आगे खुद को कम आंकना
  • अपने फैसले खुद न ले पाना
  • इनसिक्‍योर महसूस करना

कैसे करें इससे बचाव 

सोशल एंग्‍जायटी व्‍यक्ति की पर्सनैलिटी पर असर डालती है, इसलिए इसे दूर करना बहुत जरूरी है. इसके लिए किसी मनोचिकित्‍सक से काउंसलिंग ली जा सकती है. एक्‍सरसाइज, योग और मेडिटेशन की मदद ले सकते हैं. बहुत भीड़-भाड़ वाली जगहों, पार्टी, फंक्शन आदि में जाने की बजाय कम भीड़ वाली जगहों पर जाना शुरू करें.  परिवार के साथ बाहर घूमने, शॉपिंग करने, रेस्‍त्रां वगैरह जाएं. आंखों से आंखें मिलाकर बात करें. किसी भी विश्‍वसनीय व्‍यक्ति से अपने मन की बातों को शेयर करें.

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