इन दिनों केरल के वायनाड में लैंडस्‍लाइड ने भारी तबाही मचा रखी है. लैंडस्लाइड की घटना 29 जुलाई को देर रात करीब 2 बजे और 30 जुलाई की सुबह 4 बजे के बीच मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में हुई थीं. इसके चलते तमाम गांव गायब हो गए, सड़कें, पुल, गा‍ड़‍ियां बह गईं और सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. फिलहाल मौत के अलग-अलग आंकड़े सामने आ रहे हैं. आधिकारिक तौर पर 177 लोगों के मरने की ही पुष्टि हुई है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में मरने वालों की संख्‍या 300 के आसपास बताई जा रही है. 

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इस घटना के चलते सैकड़ों लोग अस्‍पतालों में भर्ती हैं तो सैकड़ों गायब हैं. हादसे की जगह ध्वस्त मकान, उफनती नदी, कीचड़ और लकड़ियों के विशाल ढेर नजर आ रहे हैं. राहत और बचाव कार्य जारी है. इस मंजर की कल्‍पना करके भी दिल कांप जाता है. ऐसे में ये सवाल दिमाग में आना लाजमी है कि आखिर वायनाड में लैंडस्‍लाइड की ये घटना किस वजह से हुई? आखिर क्‍यों होते हैं लैंडस्‍लाइड और कब बारिश लैंडस्‍लाइड की वजह बन जाती है? यहां जानिए इनके जवाब-

पहले समझिए क्‍या होता है लैंडस्‍लाइड

जब भारी मात्रा में चट्टान, मलबा या मिट्टी नीचे खिसकआए तो उसे भूस्‍खलन (Landslide) कहा जाता है. लैंडस्‍लाइड के कई कारण हो सकते हैं जैसे बारिश, भूकंप, बर्फ का पिघलना, ज्वालामुखी का फटना, माइनिंग, जंगलों की कटाई आदि. हालांकि भारत में आमतौर पर भारी वर्षा के कारण लैंडस्लाइड देखे जाते हैं. इसका कारण है कि ढलान की ऊपरी सतह फ्रिक्शन के जरिए पर नीचे वाली सतह पर टिकी रहती है. लेकिन जब भारी बारिश होती है तो इसकी ऊपरी सतह पर पानी इकट्ठा होता है, जिससे वो भारी हो जाती है.  ऐसे में बारिश का पानी इन सतहों के बीच के घर्षण को कम कर देता है और ग्रेविटी की ताकत फ्रिक्‍शन पर हावी होकर उसे नीचे खींच लेती है.

केरल का एकमात्र पठारी इलाका है वायनाड

वायनाड में लैंडस्‍लाइड की घटना होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार लैंडस्‍लाइड का असर व्‍यापक रूप से हुआ है. ये अब तक का सबसे बड़ा भूस्‍खलन बताया जा रहा है. इससे पहले 8 अगस्‍त 2019 को वायनाड के पुथुमाला इलाके में भूस्‍खलन हुआ था, उसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी. वायनाड में भूस्‍खलन का कारण है कि वायनाड केरल का एकमात्र पठारी इलाका है यानी मिट्टी, पत्थर और उसके ऊपर उगे पेड़-पौधों के ऊंचे-नीचे टीलों वाला इलाका है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल का 43% इलाका लैंडस्लाइड प्रभावित है. वहीं वायनाड की 51% जमीन पहाड़ी ढलाने हैं, जो यहां लैंडस्लाइड की संभावना को बढ़ाती हैं.

इस बार वायनाड में क्‍यों मची तबाही

वायनाड का पठार वेस्टर्न घाट में 700 से 2100 मीटर की ऊंचाई पर है. मानसून की अरब सागर वाली ब्रांच देश के वेस्टर्न घाट से टकराकर ऊपर उठती है, इसलिए इस इलाके में मानसून में बहुत ज्यादा बारिश होती है. बताया जा रहा है कि लैंडस्‍लाइड से एक दिन पहले यानी 29 जुलाई तक ये जिला सामान्य से कम वर्षा से जूझ रहा था, वहीं 30 जुलाई को यहां बहुत भारी बारिश हो गई. मौसम विभाग की मानें तो एक दिन में ही 30 जुलाई को साल की छह फीसदी वर्षा कुछ घंटों में हो गई. एक साथ इतनी बारिश को यहां की मिट्टी सोख नहीं पाई और भूस्‍खलन की घटना हो गई. चूंकि वायनाड में काबिनी नदी है. इसकी सहायक नदी मनंतावडी 'थोंडारमुडी' चोटी से निकलती है. लैंडस्लाइड के कारण इसी नदी में बाढ़ आ गई और इसके चलते इतना भारी नुकसान हुआ है.