Uniform Civil Code (UCC): जब देश में लागू नहीं, तो गोवा में क्यों लागू है समान नागरिक संहिता?
भारत में एकमात्र गोवा ऐसा राज्य है जहां वर्षों पहले से Uniform Civil Code लागू है, जबकि भारत में इसे लागू करने को लेकर अभी विचार-विमर्श किया जा रहा है.
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का मामला इन दिनों काफी चर्चा में है. समान नागरिक संहिता यानी एक देश और एक कानून. समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्य तमाम विषयों को लेकर सभी धर्मों के लिए एक समान कानून होंगे. भारत में Uniform Civil Code को लागू करने को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गोवा में समान नागरिक संहिता काफी पहले से लागू है. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.
पुर्तगालियों ने लागू किया था UCC
भारत में गोवा अकेला ऐसा राज्य है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड काफी पहले से लागू है. दरअसल गोवा पर पुर्तगालियों का कब्जा करीब 450 सालों तक रहा है. पुर्तगालियों ने ही पोर्च्युगीस सिविल कोड को गोवा में लागू किया था और तब से आज तक यहां UCC लागू है. आप कह सकते हैं कि पुर्तगाली गोवा से बेशक चले गए लेकिन UCC को वहीं छोड़ गए, जबकि पुर्तगाल खुद अपने देश में इस कानून को नए सिविल कोड से बदल चुका है. गोवा में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड को गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है.
क्या है गोवा सिविल कोड
- गोवा में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है. इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति वहां ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता.
- रजिस्ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगी. शादी का रजिस्ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही हो सकता है.
- संपत्ति पर पति और पत्नी का बराबर का अधिकार है, फिर चाहे वो संपत्ति खुद बनाई हो या फिर विरासत में मिली हो.
- पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं.
- गोवा में इनकम टैक्स पति और पत्नी दोनों की कमाई को जोड़कर कुल इनकम पर लगाया जाता है.
- गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है.
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