दिल्ली दर्शन के लिए निकले हैं तो लिस्ट में जरूर शामिल करें दिल्ली का प्रधानमंत्री संग्रहालय, जान लीजिए इसकी खासियत
आमतौर पर पारंपरिक रूप से बनाए गये संग्रहालयों में अक्सर केवल इतिहास से जुड़े लोगों की ही रुचि होती है. स्कूली बच्चे और युवाओं को ये बहुत ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाते. लेकिन प्रधानमंत्री संग्रहालय देखने के बाद आपकी ये सोच बदल सकती है.
जब म्यूज़ियम की बात आती है, तो मन में एक तस्वीर उभरती है उन गैलरी की, जिनमें कुछ पुरानी शिल्प और कलाकृतियां हमारी धरोहर को संजोए बैठी हैं, और कुछ काग़ज़, कुछ धातुएं, कुछ पत्थर तो कुछ शिलाएं हैं जो अतीत से परिचय कराती हैं. आमतौर पर इस तरह के म्यूजियम उन लोगों को तो खूब पसंद आते हैं, जो इतिहास में रुचि रखते हैं, लेकिन आज के युवाओं को आकर्षित नहीं कर पाते.
लेकिन दिल्ली का प्रधानमंत्री संग्रहालय देखने के बाद म्यूजियम को लेकर आपकी सोच पूरी तरह बदल जाएगी. इस संग्रहालय को इस तरह से तैयार किया गया है कि आम जनता से लेकर बच्चे और युवाओं किसी को भी यहां आने के बाद बोरियत महसूस नहीं होगी. इस म्यूजियम को आधुनिक तकनीक और नए मॉडर्न डिज़ाइन के साथ तैयार किया गया है. इसलिए अगर आप दिल्ली दर्शन के लिए निकले हैं, तो अपनी लिस्ट में प्रधानमंत्री संग्रहालय को जरूर शामिल करें. जानिए इसकी खासियत.
बेजोड़ टेक्नोलॉजी और ख़ूबसूरत कलात्मक इंस्टालेशन
इस संग्रहालय में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी के व्यक्तित्व और कृतित्व का प्रदर्शन बड़े ही रोचक तरह से देखने को मिलेगा, साथ ही, बेजोड़ टेक्नोलॉजी और ख़ूबसूरत कलात्मक इंस्टालेशन हर उम्र और हर क्षेत्र के लोगों को लुभाने का काम करते हैं. इस संग्रहालय के पीछे गुरुग्राम की टैगबिन सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड है.
संग्रहालय के भवन का आकर्षक डिजाइन
संग्रहालय के भवन का डिजाइन उभरते भारत की कहानी से प्रेरित बताया जा रहा है. इसमें ऊर्जा संरक्षण से जुड़ी तकनीक को शामिल किया गया है. वहीं होलोग्राम, वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी, इंटरेक्टिव कियोस्क, मल्टी-टच, मल्टीमीडिया, कम्प्यूटरीकृत काइनेटिक मूर्तियां, स्मार्टफोन एप्लिकेशन, इंटरेक्टिव स्क्रीन जैसे प्रेजेंटेशन इक्विपमेंट्स संग्रहालय को बहुत ही कम्यूनिकेटिव और आकर्षक स्वरूप देते हैं.
इन जगहों पर भी तैयार हो रहे हैं म्यूजियम
ये अनुभव केवल युवाओं को ही नहीं बच्चों को भी लुभाते हैं, और बुजुर्गों को भी अपनी ओर बराबर से आकर्षित करते हैं. इसी क्रम में कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में भगवद्गीता और महाभारत पर भी एक अभूतपूर्व संग्रहालय बनकर तैयार हो रहा है, और वहीं अमृतसर में महर्षि वाल्मीकि, खटकर कलां में शहीद भगत सिंह और महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज पर संग्रहालय बनकर तैयार हो रहे हैं.
पर्यटन के लिहाज से बेहतर
इस तरह के संग्रहालय देश ही नहीं, विदेशों से भी ये पर्यटकों को लुभाते हैं जो आज न केवल भारतीय परंपराओं और इतिहास को नए रंग-रूप में पेश कर रहे हैं, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहे हैं. पर्यटन क्षेत्र का विकास हमारी अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से बहुत आगे ले जाता है क्योंकि ये संग्रहालय न केवल ख़ुद अच्छी आय का ज़रिया बनते हैं, बल्कि इनके आसपास बहुत से छोटे-बड़े व्यवसाय भी पनपने लगते हैं, जो उस क्षेत्र के लोगों के लिए आय का अच्छा ज़रिया बनते हैं.
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