Kashi Tamil Sangamam: वाराणसी और तमिल की संस्कृति के बीच सांस्कृतिक संबंधों को फिर से जीवित करने के लिए आज यानी 17 नवंबर से एक महीने चलने वाले 'काशी तमिल संगमम' (Kashi Tamil Sangamam) का आयोजन किया जा है. इस संगमम में शामिल होने के तमिलनाडु से ढाई हजार से अधिक डेलीगेट्स वाराणसी आएंगे, जिनके लिए 13 ट्रेनों को चलाया जाएगा. इसकी पहली ट्रेन में 216 डेलीगेट्स गुरुवार को काशी के लिए रवाना होंगे. प्रधानमंत्री मोदी 19 नवंबर को औपचारिक रूप से इस कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाएंगे.

तमिलनाडु से काशी आएंगे डेलीगेट्स

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अधिकारियों ने बताया कि 'काशी तमिल संगमम' (Kashi Tamil Sangamam) में शामिल होने के लिए ढाई हजार से अधिक प्रतिनिधि आएंगे. इसके पहली ट्रेन में 35 प्रतिनिधि रामेश्वरम से, 103 तिरुचिरापल्ली से और 78 चेन्नई से ट्रेन में सवार होंगे. कुल मिलाकर, इन ट्रेनों में 2,592 प्रतिनिधि होंगे और प्रत्येक रेक में 216 प्रतिनिधि शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि ट्रेनें उत्तर प्रदेश जाने वाले रास्ते में 21 स्टेशनों पर रुकेंगी.

 

पीएम मोदी शनिवार को करेंगे उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शनिवार को वाराणसी में महीने भर चलने वाले काशी-तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का औपचारिक उद्घाटन करेंगे. महानगर के अध्यक्ष विद्यासागर राय ने कहा कि पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में करीब तीन घंटे के प्रवास के दौरान सभा को भी संबोधित करेंगे. मोदी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एम्फीथिएटर मैदान में औपचारिक रूप से समागम का उद्घाटन करेंगे.

 

क्या है काशी-तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam)

वाराणसी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से काशी-तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का आयोजन वाराणसी में किया जा रहा है. यह 'आजादी का अमृत महोत्सव' (Azadi ka Amrit Mahotsav) के तहत केंद्र सरकार की एक पहल है.

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काशी-तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) कार्यक्रम का उद्देश्य 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' (Ek Bharat Shreshtha Bharat) की भावना का जश्न मनाना और तमिल भाषा और संस्कृति को उजागर करना है. 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक का कार्यक्रम काशी (वाराणसी) और तमिलनाडु के बीच ज्ञान के सदियों पुराने बंधन और प्राचीन सभ्यतागत जुड़ाव को फिर से खोजने का प्रयास करेगा. इसका व्यापक उद्देश्य दो ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब लाना, साझा विरासत की समझ पैदा करना और क्षेत्रों के बीच लोगों से लोगों के बंधन को गहरा करना है.