Chandrayaan-3 अभी चंद्रमा की गोलाकार कक्षा में घूम रहा है. उसको 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्‍थापित कर दिया गया है. आज इसरो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग करेगा, इसके बाद चंद्रयान दो हिस्‍सों में बंटकर नई यात्रा करेगा. लेकिन इस यात्रा में चंद्रयान अकेला नहीं है. उसके अलावा ऐसे कई अंतरिक्ष यान हैं जिन्‍होंने चांद के हाइवे पर भी ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति पैदा कर दी है. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

चांद की ऑर्बिट में 6 अंतरिक्ष यान एक्टिव

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रिपोर्ट्स की मानें तो चांद की ऑर्बिट में इस समय 6 अंतरिक्ष यान एक्टिव हैं, जिनमें से एक चंद्रयान-3 भी है. इसके अलावा कई अन्‍य मिशन लाइन में हैं. जिस तरह भारत ने चांद पर अपना मिशन भेजा है उसी तरह चांद पर कई और देशों ने अपना-अपना मिशन भेजा है या भेजने की तैयारी में हैं. चंद्रयान के अलावा फिलहाल चांद के ऑर्बिट में नासा का लूनर रीकॉनिसन्स ऑर्बिटर, नासा के ARTEMIS के तहत दो और मिशन, कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (Korea Pathfinder Lunar Orbiter) और नासा का कैस्टोन मौजूद है. वहीं रूस का लूना 25 मिशन भी लॉन्‍च हो चुका है. 

लूना-25 और चंद्रयान-3 करीब-करीब एक ही राह पर

भारत और रूस के बीच चांद पर पहले लैंडिंग को लेकर होड़ मची है. लूना-25 के लॉन्‍च होने के बाद से ही लोगों में ये कौतुहल पैदा हो गया है कि चांद पर पहले कौन सा अंतरिक्ष यान पहुंचेगा लूना-25 या चंद्रयान-3. फिलहाल चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के करीब है. वहीं रूस के लूना-25 के भारत से पहले दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की उम्‍मीद जताई जा रही है. दोनों का चंद्रमा की सतह तक पहुंचने का रास्ता करीब-करीब एक ही है. ऐसे में ये खबर भी सुर्खियां बटोर रही है कि कहीं रास्‍ते में लूना-25 और भारत का चंद्रयान मिशन न टकरा जाएं.

ज्‍यादा मिशन से अंतरिक्ष में टकराव की आशंका

ज्यादा मिशन से आपसी टकराव से बचने जैसी चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं. चांद पर मौजूद ट्रैफिक को दूर करना इसरो के लिए भी बड़ी चुनौती है. साल 2019 में चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, चंद्रमा की कक्षा में अन्य अंतरिक्ष यानों से टकराने से तीन बार बचा था. बता दें 23 अगस्‍त को भारत का स्‍पेसक्राफ्ट चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.