Zimbabwe vs Pakistan: पाकिस्तान की शर्मनाक हार में इस भारतीय ने निभाई सबसे बड़ी भूमिका, जानिए कैसे फर्श से अर्श तक पहुंचा जिम्बाब्वे
T20 World Cup Zimbabwe vs Pakistan: जिम्बाब्वे ने बुधवार को पाकिस्तान को 1 रन से हराकर टी20 विश्व कप में ऐतिहासिक जीत हासिल की. जिम्बाब्वे की इस जीत से टीम के मौजूदा तकनीकी निदेशक लालचंद राजपूत से ज्यादा खुश कोई नहीं हो सकता था.
T20 World Cup Zimbabwe vs Pakistan: लालचंद राजपूत (Lalchand Rajput) सही तारीख भूल गए लेकिन उन्हें याद है कि ये जुलाई 2018 की बात है जब भारत के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने जिम्बाब्वे की पुरुष टीम के मुख्य कोच का पद संभाला और अगले ही दिन पाकिस्तान के खिलाफ पांच मैचों की वनडे सीरीज की शुरुआत हुई. पाकिस्तान के खिलाफ पहला वनडे मैच 13 जुलाई 2018 को खेला गया. राजपूत ने पीटीआई को बताया, ‘‘मैच से एक दिन पहले मुझे जिम्बाब्वे क्रिकेट ने सूचित किया कि सीन इर्विन, क्रेग विलियम्स, सिकंदर रजा और ब्रेंडन टेलर बोर्ड के साथ चल रहे सैलरी से जुड़े विवाद के कारण बाहर हो गए हैं. मैं हैरान था.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जिम्बाब्वे क्रिकेट के प्रबंध निदेशक गिवमोर मकोनी ने मुझसे कहा कि हम सीरीज रद्द नहीं कर सकते. हमें अनुभवहीन टीम मिली और पहले मैच में हम 100 रन (107 रन) और फिर तीसरे मैच में 50 के आसपास (67 रन) ऑल आउट हो गए. ऐसा होने के बाद मुझे पता था कि मुझे चीजों को बदलने के लिए रुकना होगा. हम 2019 वनडे विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में सफल नहीं हो पाए और फिर निलंबित हो गए. वह सबसे खराब दौर था इसलिए मुझे सिर्फ 4 सालों में इस परिवर्तन पर गर्व है.’’
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जिम्बाब्वे ने रोमांचक मैच में पाकिस्तान को 1 रन से हराया
जिम्बाब्वे ने बुधवार को पाकिस्तान को एक रन से हराकर टी20 विश्व कप में अपनी सबसे बेहतरीन जीत में से एक हासिल की और इससे राष्ट्रीय टीम के मौजूदा तकनीकी निदेशक राजपूत से ज्यादा खुश कोई नहीं हो सकता था. राजपूत ने कहा, ‘‘मेरा सपना उन्हें ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के लिए क्वालीफाई करते देखना था. यह सोने पर सुहागा है और मुझे अपने लड़कों पर गर्व है.’’
भारत ने जब 2007 में पहले टी20 विश्व कप का खिताब जीता था था तो उसके कोच भी राजपूत ही थे. राजपूत क्वालीफायर तक टीम के साथ थे लेकिन वह दिवाली के समय अपने परिवार के साथ रहना चाहते थे और इसलिए वापस लौट गए. नील जॉनसन, फ्लावर बंधु एंडी और ग्रांट, मरे गुडविन, पॉल स्ट्रैंग, हेनरी ओलोंगा और हीथ स्ट्रीक जैसे खिलाड़ियों के जाने के बाद जिम्बाब्वे का क्रिकेट कभी पहले जैसी सफलता हासिल नहीं कर पाया.
आईसीसी ने जिम्बाब्वे को 6 महीनों के लिए किया था निलंबित
इसे प्रशासनिक अक्षमता कहें या खिलाड़ियों की गुणवत्ता में गिरावट या कम वेतन को दोष दें, जिम्बाब्वे का क्रिकेट बद से बदतर होता गया. सरकार ने इसके बाद क्रिकेट बोर्ड को निलंबित कर दिया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने जिम्बाब्वे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से 6 महीने के लिए निलंबित कर दिया.
प्रशासनिक मोर्चे पर स्थिति में सुधार हुआ है. इस बीच खिलाड़ियों और राजपूत को उनकी सेवाओं के लिए सीधे आईसीसी ने भुगतान किया. स्टार बल्लेबाज सिकंदर रजा ने सिर्फ 2022 में ही 5 वनडे अंतरराष्ट्रीय शतक बनाए हैं जबकि मौजूदा सीजन से पहले 50 ओवर के फॉर्मेट में उनका एकमात्र शतक 2015 में बना था. बुधवार को रजा ने अपनी ऑफ स्पिन से तीन विकेट चटकाए और मैच का रुख बदलते हुए टीम को एक रन से जीत दिलाई.
36 की उम्र में निखर रहे हैं सिकंदर रजा
राजपूत ने कहा, ‘‘सिकंदर एक भावुक लड़का है. वह देर से 36 साल की उम्र में निखर रहा है. मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब मैंने पद संभाला था तो उससे पूछा था, “तूने कितने मैच जिम्बाब्वे को जिताएं हैं. उसने लंबे समय से शतक नहीं बनाया था. वह 40 के आसपास रन और कभी कभी अर्धशतक बना रहा था जिससे कि टीम में उसकी जगह सुरक्षित रही.’’
पूर्व टेस्ट सलामी बल्लेबाज राजपूत इसके बाद रजा में मुंबई की शैली लाए और उनके अलावा विलियम्स, इर्विन और कप्तान रेगिस चकाब्वा जैसे सीनियर खिलाड़ियों के साथ दिल से बात की. राजपूत ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि अगर आप सीनियर्स आगे नहीं आओगे और मैच जिताने में अधिक जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो जिम्बाब्वे के लिए खेलने का कोई मतलब नहीं है.’’
उन्होंने कहा, “अगर टीम को हारना है तो मैं युवाओं को चुनना पसंद करूंगा और परिणामों के बारे में नहीं सोचूंगा. इसने काम किया क्योंकि उनकी मानसिकता बदल गई.’’
जिम्बाब्वे से पहले अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को कोचिंग दे रहे थे राजपूत
राजपूत की असल में जिम्बाब्वे से जुड़ने की कोई योजना नहीं थी क्योंकि वह ग्रेटर नोएडा में अफगानिस्तान टीम को कोचिंग देकर खुश थे. लेकिन चीजें तब बदल गईं जब अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) के अधिकारी चाहते थे कि वह जूनियर विश्व कप की अंडर-19 राष्ट्रीय टीम तैयार करने के लिए काबुल आएं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे विशेष रूप से कहा था कि मैं काबुल कभी नहीं जाऊंगा. इसलिए जैसे ही उन्होंने जोर दिया तो मैंने इस्तीफा दे दिया. इसे मीडिया ने कवर किया और फिर एक हफ्ते के भीतर मकोनी ने मुझे फोन किया और मुझे मुख्य कोच की नौकरी की पेशकश की.’’
भाषा इनपुट्स