सर्वाइकल कैंसर को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के करीब 95 फीसदी मामले गरीब और ग्रामीण इलाकों में सामने आते हैं. वहीं इस रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि अगर सही समय पर बच्चियों और महिलाओं को वैक्‍सीन लग जाए तो इस कैंसर को रोका जा सकता है. साथ ही अगर किसी महिला को सर्वाइकल कैंसर हुआ है और उसका समय रहते पता चल जाए तो उसकी जान बचायी जा सकती है. 21 एशियाई देशों में हुए इस अध्‍ययन की रिपोर्ट को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय जर्नल 'द लैंसेट' ने प्रकाशित किया है. आइए आपको बताते हैं सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी खास बातें.

महिलाओं में होने वाला सेकंड मोस्‍ट कॉमन कैंसर

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जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के स्‍टेट कैंसर इंस्‍टीट्यूट के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट (BMT) और PHOD मेडिकल ऑकोलॉजी, डॉ. संदीप जसूजा बताते हैं क‍ि सवाईकल कैंसर महिलाओं में होने वाला सेकंड मोस्‍ट कॉमन कैंसर है. ब्रेस्‍ट कैंसर के बाद महिलाओं में सबसे ज्‍यादा मामले इसी के आते हैं. सर्वाइकल कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है. दरअसल यूट्रस के निचले भाग का हिस्सा सर्विक्‍स यूट्रस कहलाता है जो वजाइना से जुड़ा होता है. सर्वाइकल कैंसर में सर्विक्‍स यूट्रस के सेल्‍स प्रभावित होते हैं. 

सर्वाइकल कैंसर की वजह

सर्वाइकल कैंसर के 80 से 90 फीसदी मामलों में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के 16 और 18 स्‍ट्रेन को जिम्‍मेदार माना जाता है.  HPV एक आम यौन रोग है, जो प्राइवेट पार्ट में मस्‍से के रूप में नजर आता है और धीरे-धीरे ये सर्वाइकल सेल्‍स को कैंसर सेल्‍स में बदल देता है. HPV को सबसे कॉमन सेक्‍शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है. इस कारण ज्‍यादातर महिलाओं में ये समस्‍या पुरुषों से ट्रांसफर होती है. ज्‍यादातर पुरुष  HPV स्‍ट्रेन पॉजिटिव होते हैं. 

ये हैं सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के दौरान पीरियड्स लंबे समय तक चलना, पीरियड्स के दौरान बहुत ज्‍यादा दर्द, वजाइना से व्‍हाइट डिस्‍चार्ज जैसे लक्षण सामने आते हैं. लक्षण बेहद सामान्‍य होने के कारण ज्‍यादातर महिलाओं को इस बीमारी का अंदाजा नहीं लग पाता.

10 से 14 साल की उम्र में वैक्‍सीन जरूरी

डॉ. संदीप जसूजा का कहना है कि अगर इसकी वैक्‍सीन लड़कियों को 10-14 साल की उम्र में ही लगा दी जाए तो सर्वाइकल कैंसर के रिस्‍क को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसका कारण है कि इस उम्र में लड़कियों में पुरुषों के कॉन्‍टेक्‍ट से HPV स्‍ट्रेन ट्रांसफर होने का रिस्‍क बहुत कम होता है. एक बार अगर फीमेल को HPV इन्‍फेक्‍शन हो गया और बाद में वैक्‍सीन लगाई गई तो फिर ये वैक्‍सीन HPV स्‍ट्रेन के मामले में कोई काम नहीं करेगी. हालांकि HPV के अलावा बाकी वायरस से बचाने के लिए इसे 40 साल तक की उम्र में भी लगवाया जा सकता है.  बता दें कि भारत में सर्वाइकल कैंसर की वैक्‍सीन को तैयार किया जा चुका है. जल्‍द ही भारत सरकार देश में बड़े पैमाने पर वैक्‍सीनेशन कैंपेन चला सकती है. 

 

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