Shattila Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इसे माघ एकादशी भी कहा जाता है. इस साल 18 जनवरी,बुधवार को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु की कथा सुनने का विधान भी बताया गया है. इस एकादशी का व्रत करने से मानसिक और शारीरिक हर तरह के पाप से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा जो कोई भी इंसान षटतिला एकादशी का व्रत करता है उनके घर में सुख शांति का वास होता है और ऐसे इंसान को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. 18 जनवरी को रखा जाएगा व्रत

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इस साल एकादशी 18 जनवरी को है. पंचांग के मुताबिक षटतिला एकादशी की शुरुआत 17 जनवरी 2023 को शाम 6.05 बजे हो रही है और यह तिथि 18 जनवरी 2023 को शाम 4.03 बजे संपन्न हो रही है. इसलिए यह व्रत 18 जनवरी को ही रखा जाएगा. इसका पारण 19 जनवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.

छह तरीकों से किया जाता है तिल का इस्तेमाल इस दिन तिल का 6 तरीके से प्रयोग किए जाने पर ही इस दिन को षटतिला एकादशी कहा जाता है. जैसे तिल से स्नान करना, इसका उबटन लगाना, तिल से हवन और तर्पण करना, भोजन में तिल का इस्तेमाल करना और तिल दान करना. षटतिला एकादशी पर दान करना शुभ षटतिला एकादशी के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है. दान करने से भगवान विष्णु की कृपा होती हैं. भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत पसंद है. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग का फूल चढ़ाना चाहिए. उन्हें पीले रंग के ही कपड़े अर्पित करें और पीली मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के बाद इन चीजों को किसी ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान कर दें. जानें पूजा विधि-महत्व

षटतिला एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पुष्प, धूप अर्पित कर व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान विष्णु की पुजा करनी चाहिए. अगले दिन द्वादशी पर सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु को भोग लगाएं. इसके बाद पंडितों को भोजन कराएं और पारण करें. धर्म शास्त्रों के अनुसार षटतिला एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

षटतिला एकादशी पर जरूर करें ये काम इस दिन पुष्य नक्षत्र में गोबर,कपास, तिल मिलाकर उपले बनाएं और इससे 108 बार हवन करें. एकादशी के दिन उपवास और हवन करें. रात्रि जागरण कर भगवान का भजन और ध्यान करें. एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मिठाई, नारियल, और सुपारी सहित अर्घ्य देकर स्तुति करें. अगले दिन धूप, दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु की पूजा कर खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए.