Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन कितने बजे होगी घट स्थापना, नोट कर लें शुभ मुहूर्त
Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना शुभ मुहूर्त में करना जरूरी होता है. अगर आप भी अपने घर में कलश स्थापना करते हैं, तो यहां नोट कर लीजिए शुभ मुहूर्त.
Shardiya Navratri 2024 Ghatsthapana Time: मां दुर्गा की उपासना के पर्व की शुरुआत 3 अक्टूबर से होने जा रही है. नौ दिनों के इस पर्व की शुरुआत गुरुवार को हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना शुभ मुहूर्त में करना जरूरी होता है. अगर आप भी अपने घर में कलश स्थापना करते हैं, तो यहां नोट कर लीजिए शुभ मुहूर्त.
कितने बजे होगी घट स्थापना
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक 3 अक्टूबर गुरुवार को शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना का शुभ समय सुबह 9 बजकर 36 से शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इस बीच आप भी भी स्थापना कर सकते हैं. इस बीच 11:46 बजे से 01:34 बजे का समय अति शुभ है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन ऐन्द्र योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा, जो फलदाई रहेगा.
घट स्थापना विधि
सबसे पहले घर में पूजा के स्थान की सफाई करें या फिर एक चौकी रखकर उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा रखें. भगवान गणेश को याद कर पूजन कार्य प्रारंभ करें. मां दुर्गा के सामने उनके नाम की अखंड ज्योति जलाएं. मिट्टी का चौड़ा पात्र लेकर उसमें थोड़ी मिट्टी डालें, उसमें जौ के बीच डालें. एक कलश या घर के लोटे को अच्छे से साफ करके उस पर कलावा बांधें और स्वास्तिक बनाएं. कलश में गंगा जल डालकर पानी भरें. उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और दक्षिणा डालें.
इसके बाद कलश के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और कलश को बंद करें. इसके ढक्कन के ऊपर अनाज भरें. नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर इसके ऊपर रखें. अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें. इसके बाद सभी देवी देवताओं का आवाह्न करके माता के सामने व्रत का संकल्प लें और विधिवत पूजा शुरू करें. कलश स्थापना करने के बाद नौ दिनों तक इसे बिल्कुल न हिलाएं, लेकिन नियमित पूजन जरूर करें.
नौ दिनों में अलग-अलग स्वरूप की पूजा
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की उपासना होती है. पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना होती है.