Sengol History: नए संसद भवन में स्थापित हुआ सेन्गोल, 5000 साल पुराना है इसका इतिहास, जानें क्यों है ये इतना खास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया है. वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा अर्चना के बाद पीएम मोदी को सेन्गोल सौंपी गई, जिसे पीएम मोदी ने संसद की नई बिल्डिंग में स्थापित किया.
New Parliament House: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया है. वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा अर्चना के बाद पीएम मोदी को सेन्गोल सौंपी गई, जिसे पीएम मोदी ने संसद की नई बिल्डिंग में स्थापित किया. इस दौरान उनके साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी मौजूद रहे. सेंगोल' को लेकर पीएम लोकसभा में स्पीकर के आसन तक धीरे-धीरे बढ़े. उनके पीछे ओम बिरला भी थे. फिर पीएम स्पीकर के आसन तक गए और वहां सेन्गोल को स्थापित किया.
स्पीकर की कुर्सी के पास स्थापित किया ऐतिहासिक सेन्गोल को नई संसद की लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के पास स्थापित किया गया. स्थापना से पहले सेन्गोल को गंगा जल से शुद्ध किया गया. सेन्गोल को एक पवित्र प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा गया. इसे 5000 साल पुरानी महाभारत से भी जोड़ा जाता है. दावा किया जाता है कि सेन्गोल को राज्याभिषेक के समय युधिष्ठिर को दिया गया था.सेन्गोल क्या है?
सेन्गोल एक तमिल शब्द है. जिसका मतलब संपदा से संपन्न' होता है. सेन्गोल चोल साम्राज्य की परंपरा का हिस्सा था. यह चांदी और सोने से बना होता है. इसकी लंबाई 5 फीट और इसका वजन 800 ग्राम है. सेन्गोल के शीर्ष पर नंदी प्रतिमा धर्म-न्याय का प्रतीक है. नंदी के नीचे गोला दुनिया का प्रतीक है और इसमें लक्ष्मी की आकृति वैभव-समृद्धि की प्रतीक मानी जाती है. इसको ब्रह्मदंड भी कहते हैं. तमिल में इसे सेंगोल कहते हैं. हिंदी में इसे राजदंड कहा जाता है यानी अधर्म का नाश करने वाला.