Sawan Somwar 2023: भगवान शंकर के भक्तों के लिए सावन का महीना बहुत ही पावन होता है. इस पूरे महीने भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह-तरह के जतन करते हैं. कहा जाता है कि सावन में शिव को प्रसन्‍न करना और भी ज्‍यादा आसान होता है. यही वजह है कि भक्‍त पूरे माह भगवान की विशेष उपासना करते हैं. इस बार 19 साल बाद ऐसे संयोग बने हैं कि सावन का महीना दो महीने तक चलने वाला है. सावन का महीना 4 जुलाई, 2023 से 31 अगस्त तक यानी 58 दिन तक चलने वाला है. कल यानि 10 जुलाई को सावन का पहला सोमवार पड़ने वाला है, ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि सावन के महीने में भगवान शंकर की उपासना करते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य) गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा.

शिव पूजन में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • स्नान कर के ही पूजा में बैठें.
  • साफ सुथरा वस्त्र धारण करें.
  • आसन एक दम स्वच्छ चाहिए (दर्भासन हो तो उत्तम).
  • पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह कर के ही पूजा करें.
  • बिल्व पत्र पर जो चिकनाहट वाला भाग होता है, वही शिवलिंग पर चढ़ाएं (खंडित बिल्व पत्र मत चढ़ाएं).
  • संपूर्ण परिक्रमा कभी न करें (जहां से जल पसार हो रहा हे वहां से वापस आ जाएं).
  • पूजन में चंपा के पुष्प का प्रयोग ना करें.
  • बिल्व पत्र के उपरांत आक के फुल, धतुरा पुष्प या नील कमल का प्रयोग अवश्य कर सकते हैं.
  • शिव प्रसाद से कभी भी इंकार न करें.

पूजन सामग्री 

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शिव की मूर्ति या शिवलिंगम, अबीर- गुलाल, चन्दन (सफ़ेद) अगरबत्ती धुप (गुग्गुल) बिलिपत्र बिल्व फल, तुलसी, दूर्वा, चावल, पुष्प, फल,मिठाई, पान-सुपारी,जनेऊ, पंचामृत, आसन, कलश, दीपक, शंख, घंट, आरती इन सब चीजो का होना आवश्यक है.

पूजन विधि 

श्रावण सोमवार (Sawan Somwar 2023) के दिन शिव अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है. व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए. सोमवार के अगले दिन अथवा प्रदोष काल के समय सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है.

जो इंसान भगवन शंकर का पूजन करना चाहता हे उसे प्रातः कल जल्दी उठकर प्रातः कर्म पूरे करने के बाद पूर्व दिशा या इशान कोने की और अपना मुख रख कर.. प्रथम आचमन करना चाहिए बाद में खुद के ललाट पर तिलक करना चाहिए.