Sardar Vallabhbhai Patel Motivational Thoughts: देश के पहले उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) को भारत के  'लौह पुरुष' के तौर पर जाना जाता है. पेशे से वकील रह चुके सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्‍होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एकजुट भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए 550 से अधिक रियासतों को भारत संघ में मिलाने का श्रेय भी सरदार पटेल को ही जाता है. वल्‍लभ भाई पटेल के सरदार वल्‍लभभाई पटेल बनने के पीछे भी दिलचस्‍प वजह है. 

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साल 1928 में उन्‍होंने बारडोली सत्याग्रह का सफल नेतृत्व किया था. इसके बाद गांधी जी उन्हें बारदोली का सरदार कहकर पुकारा था और वहां की महिलाओं ने उन्‍हें सरदार की उपाधि से नवाजा था और तब से वो सरदार वल्‍लभभाई पटेल कहलाने लगे. सरदार पटेल स्वभाव से शांत और उदार थे. उन्‍हें महान और प्रेरणादायी विचारों का धनी माना जाता है. आज सरदार वल्‍लभभाई पटेल की पुण्‍यतिथि है, आइए इस मौके पर आपको बताते हैं उनके ऐसे विचार जो आपके जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं.

सरदार पटेल के प्रेरक विचार

1- शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं.

2- काम करने में तो मजा ही तब आता है, जब उसमे मुसीबत होती है. मुसीबत में काम करना बहादुरों का काम है, मर्दों का काम है. कायर तो मुसीबतों से डरते हैं लेकिन हम कायर नहीं हैं, हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिए.

3- मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए क्‍योंकि लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा. कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाए, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा.

4- यहां तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत गवां दें और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए.

5- जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता. अतः जात-पांत के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए.

6- आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिए और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिए.

7- ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, उनके साथ अक्सर मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है.

8- संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है. मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे. जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता.

9- एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है.

10-  यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है. हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है. उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं.