इस साल अयोध्‍या में राम नवमी बहुत धूमधाम से मनेगी. नवरात्र में राम जन्मभूमि मंदिर में 9 दिन शक्ति की उपासना के बाद 17 अप्रैल को राम नवमी (Ram Navami) के दिन राम लला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा. उन्‍हें सूर्य तिलक लगाया जाएगा. साथ ही 56 प्रकार का भोग लगाया जाएगा. इस अद्भुत क्षण के साक्षी बनने के लिए राम नवमी के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के अयोध्‍या पहुंचने की उम्मीद है.

सूर्य तिलक के लिए चल रहीं जोरदार तैयारियां

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राम मंदिर में राम लला के सूर्य अभिषेक और सूर्य तिलक लगाने के लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) के विशेषज्ञ भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान-बेंगलुरु के वैज्ञानिकों के साथ अयोध्‍या पहुंच चुके हैं. इसके लिए मंदिर के भूतल पर एक ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम लगाया जा रहा है. 17 अप्रैल को अयोध्या के सूर्यवंशी राजा राम लला को दोपहर में करीब 12 बजे 'सूर्य अभिषेक' का उपहार देंगे.

इस तकनीक का होगा इस्‍तेमाल

यह एक ऐसी घटना है, जिसके जरिए से सूर्य की किरणों को ऑप्टिकल उपकरणों की एक सीरीज से कैप्चर और डायवर्ट किया जाएगा. स्‍टैंडर्ड ऑप्टो मैकेनिकल सेटअप एक फैब्री-पेरोट कैविटी है, जहां एक दर्पण गतिशील होता है, ताकि इनपुट लेजर के लिए ऑप्टिकल सिस्टम की प्रतिक्रिया को अधिकतम किया जा सके. फैब्री-पेरोट कैविटी, फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी चार्ल्स फैब्री और अल्फ्रेड पेरोट के नाम पर है,  जिन्होंने इसे 1897 में इसे विकसित किया था. इस तकनीक का इस्‍तेमाल करते हुए सूर्य की किरणों को रामनवमी के दिन दोपहर करीब 12 बजे के आसपास भगवान के माथे को रोशन किया जाएगा.

75 मिलीमीटर तक गोलाकार तिलक

चार मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर 75 मिलीमीटर तक गोलाकार रूप में चमकती रहेंगी. दरअसल राम मंदिर ट्रस्ट की मूल योजना मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद ये प्रक्रिया शुरू करने की थी, लेकिन साधु-संतों के अनुरोध के बाद, CBRI के वैज्ञानिक नवनिर्मित मंदिर में पहली रामनवमी पर 'सूर्य अभिषेक' की व्यवस्था कर रहे हैं. मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम रविवार रात से इस परियोजना पर काम कर रही है. राम लला की मूर्ति के माथे और गर्भगृह के बीच की दूरी मापने के बाद, वैज्ञानिकों ने रणनीतिक रूप से उन बिंदुओं पर स्‍टीकर लगाए जहां दर्पण और उपकरण रखे जाएंगे.