Ram Mandir: राम मंदिर की तैयारियां जोरों से चल रही है. 22 जनवरी को पूरी दुनिया उस ऐतिहासित क्षण का गवाह बनेगी, जब राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी. इससे ठीक पहले भगवान श्री राम के ससुराल नेपाल से करीब 57 साल पुराना एक ऐसा डाक टिकट वायरल हो रहा है, जो किसी अद्भुत संयोग से कम नहीं है. दरअसल, 1967 में जारी हुए इस डाक टिकट को भगवान राम और सीता को समर्पित किया गया था, जिसमें संयोगवश राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का साल लिखा हुआ. 15 पैसे के इस डाक टिकट पर रामनवमी 2024 लिखा हुआ है.

क्या है ये अद्भुत संयोग?

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नेपाल में 1967 में जारी हुए इस डाक टिकट में भगवान श्रीराम धनुष-बाण के साथ देखे जा सकते हैं. उनके आगे माता सीता भी हैं. 15 पैसे के इस नेपाल पोस्टेज के 'रामनवमी 2024' लिखा हुआ है. इस डाक टिकट को राम नवमी के अवसर पर 18 अप्रैल, 1967 को लॉन्च किया गया था. 

कैसे बना ये संयोग?

दरअसल इस वायरल नेपाली डाक टिकट पर जो रामनवमी 2024 में लिखा है, वह अंग्रेजी कैलेंडर में नहीं बल्कि विक्रम संवत में लिखा है. विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है. इस तरह से साल 1967 में जारी हुए इस डाक टिकट पर 57 साल आगे का साल 2024 लिखा हुआ है. 

22 जनवरी को मनाई जाएगी दीपोत्सव

श्रीराम मंदिर के भव्य प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर 22 जनवरी को सरयू घाट पर दीपोत्सव और भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया जाएगा. शाम को हर घर, घाट और मंदिरों में दीपोत्सव जैसा कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया गया है. प्राण प्रतिष्ठा के लाइव प्रसारण के लिए सूचना विभाग की तरफ से 50 अतिरिक्त स्क्रीन/डिजिटल बोर्ड की व्यवस्था की जाएगी. 

आयुक्त गौरव दयाल ने प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़े आयोजन को लेकर शासन से मिले निर्देशों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कार्यालयों में 14 से 21 जनवरी के मध्य विशेष सफाई अभियान एवं प्लास्टिक व गंदगी की सफाई करके परिसर को स्वच्छ एवं सुंदर रखा जाएगा. सभी कार्यालयों में विशेष प्रकाश व्यवस्था रहेगी. 22 जनवरी के लिए लोगों को प्रेरित कर घर-घर एवं संस्थानों में ज्योति जलाई जाएगी.

500 किलो का नगाड़ा पहुंचा अयोध्या

गुजरात से विशेष रथ से 500 किलो का विशाल नगाड़ा रामनगरी पहुंचा, जिसे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने गुरुवार को स्वीकार किया. साथ ही आश्वासन दिया कि इसे उचित स्थान पर स्थापित किया जाएगा. नगाड़ा लेकर आए चिराग पटेल ने बताया कि इस पर सोने और चांदी की परत चढ़ाई गई है. ढांचे में लोहे और तांबे की प्लेट का भी इस्तेमाल किया गया है. इसका निर्माण डबगर समाज के लोगों ने किया है.