Bhadra on Raksha Bandhan 2024: हिंदू समाज में रक्षा बंधन का त्‍योहार काफी बड़ा माना जाता है.  हर साल श्रावण पूर्णिमा को ये त्‍योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें भाइयों को राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस बार रक्षा बंधन का त्‍योहार 19 अगस्‍त को सोमवार के दिन पड़ रहा है. पूर्णिमा को भद्रा भी लगेगी. भद्रा में किसी भी शुभ काम को करने की मनाही है. यहां जानिए इस मामले में ज्‍योतिषाचार्य का क्‍या कहना है और क्‍या है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त.

रक्षा बंधन पर राखी बांधने का शुभ समय (Raksha Bandhan 2024 Rakhi Time)

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के अनुसार श्रावण शुक्ल चतुर्दशी 18 अगस्त 2024 को रात 2 बजकर 21 मिनट पर भद्रा शुरू हो जाएगी और इसका समापन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा सोमवार, 19 अगस्त 2024 को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर होगा. ज्‍योतिषाचार्य के मुताबिक भद्रा का वास पाताल लोक में है, इसलिए धरती पर इसका बहुत बड़ा असर नहीं रहेगा. लेकिन फिर भी कोशिश करें कि भद्राकाल के बाद ही भाई की कलाई पर राखी बांधे. इसलिए आप 1.25 बजे से आप कभी भी भाई को राखी बांध सकती हैं.

रक्षा बंधन का महत्‍व (Significance of Raksha Bandhan 2024)

रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के स्‍नेह का पर्व है. ये त्‍योहार उनके रिश्‍ते की डोर को मजबूत करता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है. ये राखी एक तरह से रक्षा सूत्र होती है क्‍योंकि इसे बहन भाई की हिफाजत और लंबी आयु की कामना के साथ बांधती है. बदले में भाई बहन को गिफ्ट देकर उसका आभार प्रकट करता है और ये वचन देता है कि वो उसकी रक्षा करेगा और उसके सुख-दुख में हमेशा उसके साथ रहेगा. 

क्‍यों अशुभ माना गया है भद्राकाल (Why Bhadrakal is considered Inauspicious)

भद्राकाल में किसी भी शुभ काम को करने की मनाही है. कहा जाता है कि रावण को उसकी बहन शूर्पणखा ने ने भद्राकाल में ही राखी बांधी थी और वो उसका आखिरी रक्षाबंधन था. भद्रा को लेकर एक कथा कही जाती है. कथा के अनुसार भद्रा सूर्यदेव व उनकी पत्नी छाया की पुत्री हैं और शनिदेव की सगी बहन हैं. भद्रा का स्वभाव भी कड़क है और वे काफी कुरूप हैं. मान्यता है कि भद्रा जन्‍म से ही बेहद काले रंग की थीं. जन्म लेने के बाद वे ऋषि मुनियों के यज्ञ आदि में विघ्न डालने लगीं, तब सूर्य देव को उसकी चिंता होने लगी और उन्होंने ब्रह्मा जी से परामर्श मांगा.

भद्रा के स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचाग के एक प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दे दिया. साथ ही कहा कि भद्रा अब तुम बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में निवास करो. जो व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश तथा अन्य मांगलिक कार्य करें, तो तुम उनके कामों में विघ्न डाल देना. जो तुम्हारा सम्मान न करे, उनके काम तुम बिगाड़ देना. ये कहकर ब्रह्मा जी अपने लोक को चले गए. इसके बाद से भद्रा सभी लोकों में भ्रमण करने लगीं. भद्रायुक्त समय को भद्राकाल कहा जाता है. भद्राकाल के समय में किसी भी तरह के शुभ काम करना वर्जित होता है.