मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्‍तव गुरुवार को पंचतत्‍व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्‍कार दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया गया. राजू को 10 अगस्‍त को जिम करते समय हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्‍हें दिल्‍ली के AIIMS में भर्ती कराया गया था. जहां वे 42 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते रहे. बीते बुधवार को आखिरकार राजू श्रीवास्‍तव ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. 

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निधन के बाद राजू श्रीवास्‍तव का अस्‍पताल में पोस्‍टमार्टम किया गया था. पोस्‍टमार्टम के लिए वर्चुअल ऑटोप्‍सी तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया, जिसमें शरीर में चीरफाड़ करने की जरूरत नहीं होती है और पोस्टमॉर्टम की पूरी प्रक्रिया करीब 15-20 मिनट में पूरी हो जाती है. आइए जानते हैं इस तकनीक के बारे में.

मशीनों के सहारे किया जाता है पोस्‍टमार्टम

वर्चुअल ऑटोप्सी को वर्चुअल पोस्टमार्टम या वर्टोप्सी भी कहा जाता है. इसमें हाइटेक डिजिटल एक्‍सरे और सीटी स्‍कैन की मदद ली जाती है. इसमें पूरे शरीर की जांच मशीनों की मदद से ही की जाती है, इस कारण पोस्‍टमार्टम में किसी तरह की चीर-फाड़ की जरूरत नहीं होती. साथ ही समय भी कम लगता है.

समय और पैसे दोनों बचाती है ये तकनीक

वर्चुअल ऑटोप्सी को लेकर रेडियोलॉजिस्‍ट डॉ. शिल्‍पा सक्‍सेना बताती हैं कि ये तकनीक एक तरह का रेडियोलॉजिकल परीक्षण है. इसकी मदद से चोट, फ्रेक्‍चर, ब्‍लड क्‍लॉट्स,  हड्डियों में हेयरलाइन या चिप फ्रैक्चर जैसे छोटे फ्रैक्चर के बारे में भी पता लगाया जा सकता है. इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है.

भारत में कब आई ये तकनीक

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे देश पहले से वर्चुअल ऑटोप्‍सी तकनीक का इस्‍तेमाल कर रहे हैं, लेकिन भारत में वर्चुअल ऑटोप्सी तकनीक का इस्‍तेमाल साल 2020 से शुरू किया गया. उस समय एम्‍स को इस प्रोजेक्ट के लिए 5 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. डॉ. शिल्‍पा सक्‍सेना बताती हैं कि Preliminary Autopsy करने के लिए अब ये तकनीक कई अस्‍पतालों में इस्‍तेमाल हो रही है.