Modi Cabinet Reshuffle: अर्जुन राम मेघवाल होंगे केंद्रीय कानून मंत्री, किरेन रिजिजू को दी गई भू-विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी
Modi Cabinet Reshuffle: अर्जुन राम मेघवाल को किरेन रिजिजू की जगह उनके मौजूदा विभागों के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है.
Modi Cabinet Reshuffle: मोदी कैबिनेट में एक बड़ा फेरबदल हुआ है. अर्जुन राम मेघवाल को किरेन रिजिजू की जगह उनके मौजूदा विभागों के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है. अबतक केंद्रीय कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे किरेन रिजिजू को भू-विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में मेघवाल पहले से ही संस्कृति मंत्रालय में राज्यमंत्री के पद पर हैं.
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई. इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों का दोबारा आबंटन किया है. इसके मुताबिक, रिजिजू को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है और उनकी जगह मेघवाल को उनके मौजूदा विभागों के अतिरिक्त, विधि एवं न्याय मंत्रालय में राज्यमंत्री का जिम्मा दिया गया है.
विधानसभा चुनाव से पहले बढ़ा मेघवाल का कद
अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान के बीकानेर से सांसद है. इस साल के आखिर में राजस्थान में विधान सभा चुनाव होने है. चुनावों से पहले बीजेपी ने मेघवाल को केंद्रीय कानून मंत्रालय जैसी अहम जिम्मेदारी देकर बड़ा संदेश दिया है. अर्जुन मेघवाल बीजेपी के बड़े दलित चेहरों में से एक हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वे केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री का पोर्टफोलियो संभाल चुके हैं.
किरेन रिजिजू से क्यों वापस लिया गया कानून मंत्रालय
किरेन रिजिजू अरुणाचल प्रदेश से आते हैं. वे अरुणाचल पश्चिम संसदीय सीट से सांसद हैं. इससे पहले, जुलाई 2021 में रविशंकर प्रसाद से कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी लेकर रिजिजू को नया कानून मंत्री बनाया गया था. माना जा रहा है कि किरेन रिजिजू के हाल के बयानों को लेकर उनपर गाज गिरी है. उनके बयानों से ऐसा संदेश गया कि लोकतंत्र के सभी अंगों में तनाव चल रहा है. उनके बयानों को लेकर कई बार असहज स्थिति भी आई.
कानून मंत्री का जिम्मा संभालने के बाद से रिजूजू न्यायपालिका की आलोचना कर चुके हैं. वे जजों की नियुक्ति का कॉलोजियम सिस्टम, पूर्व जजों की ऐक्टिविस्ट के साथ साठगांठ जैसे मुद्दों पर टिप्पणी कर चुके हैं. इस पर अच्छा खासा विवाद पैदा हुआ. पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने रिजिजू की टिप्पणियों पर नाराजगी भी जताई थी. दो जजों की पीठ ने कहा था कि शायद सरकार जजों की नियुक्ति को इसलिए मंजूरी नहीं दे रही क्योंकि एनजेएसी को मंजूरी नहीं दी गई.
रिजिजू ने नंवबर 2022 में कहा था कि जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम संविधान के लिए एलियन है. उन्होंने कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम में कई खामियां हैं और लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. बाद में उन्होंने कहा था कि रिटायर्ड जज और ऐक्टिविस्ट भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं. किरेन रिजुज और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों के विरुद्ध एक पीआईएल भी दायर की गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले इस पीआईएल को खारिज कर दिया था. हाल ही में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका भी मिला है. एलजी बनाम दिल्ली सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया. चुनावी साल में सरकार और न्यायपालिका के बीच सद्भाव रहे शायद इसीलिये रिजूजू को हटाकर अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है.
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