पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार रात करीब 08:28 बजे फोर्टिस अस्‍पताल में निधन हो गया. उन्‍हें सांस लेने में तकलीफ होने के बाद मोहाली के फोर्टिस अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था. अस्‍पताल में ही उनका निधन हुआ. 5 बार पंजाब के मुख्‍यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल को पंजाब की राजनीति के बेहद सम्माननीय वरिष्ठ व्‍यक्ति का दर्जा प्राप्‍त है. आइए एक नजर डालते हैं उनके राजनीतिक सफर पर.

प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक करियर

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प्रकाश सिंह बादल कई दशकों से राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं. उन्हें पंजाब की राजनीति के बेहद सम्माननीय वरिष्ठ व्यक्ति का दर्जा दिया जाता है. वे एक कुशल राजनीतिज्ञ और अपने धर्म के प्रति पूरी तरह समर्पित व्यक्ति थे. 1957 में कांग्रेस से पहली बार पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए थे और अब तक कुल 10 बार विधायक बने.

1961 में प्रकाश सिंह बादल को मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया. 1972, 1980 और 2002 में वे विपक्ष के नेता रहे. मार्च 1970 में वे पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने. लेकिन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच उन्हें मुख्यमंत्री पद को त्यागना पड़ा और वे 1977 में लोकसभा के लिए निर्वाचित होकर केन्द्र में कृषि और सिंचाई मंत्री बने. 1977 में ही बादल को एक बार फिर पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला. उन्होंने 1997 से 2002 तक केवल एक बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया. 2012 में वे 5वीं बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने.

देश का चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज व्‍यक्ति

प्रकाश सिंह बादल देश का चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज व्‍यक्ति रहे हैं. बीते साल ही शिरोमणि अकाली दल ने विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब के मुक्तसर जिले में लंबी सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाया था. हालांकि वे इस चुनाव को हार गए थे, लेकिन देश में चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होने के नाते रिकॉर्ड बुक में उनका नाम दर्ज हो गया.

सबसे कम उम्र और सबसे उम्रदराज मुख्‍यमंत्री

प्रकाश सिंह बादल 1970 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने, तब उनकी उम्र मात्र 43 साल थी और वे किसी राज्‍य के सबसे कम उम्र के मुख्‍यमंत्री बने थे. वहीं, साल 2012 में जब वे पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने तो वे देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री थे. प्रकाश सिंह बादल एक कुशल राजनीतिज्ञ और अपने धर्म के प्रति पूरी तरह समर्पित व्यक्ति थे. पंजाबियों की रक्षा और उनके हितों के लिए आवाज़ उठाने के चलते अपने जीवन के लगभग सत्रह साल उन्‍होंने जेल में बिताए थे.

प्रकाश सिंह बादल की उपलब्धियां

पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल को साल 2015 में भारत सरकार ने दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. 2011 में अकाल तख्त ने उन्हें पंथ रतन फखर-ए-कौम (सचमुच, धर्म का गहना और समुदाय का गौरव) की उपाधि दी थी. बादल को यह उपाधि उन्हें लंबे समय तक जेल में रहने और विभिन्न अकाली आंदोलनों के दौरान अत्याचारों का सामना करने के लिए दी गई थी.

पारिवारिक जीवन 

प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर, 1927 को अबुल खुराना नामक गांव (अब पाकिस्तान) में जाट सिक्ख परिवार में हुआ था. प्रकाश सिंह बादल की पत्नी का नाम सुरिंदर कौर था और उनके दो बच्चे सुखबीर सिंह बादल और परनीत कौर हैं. उनकी पत्नी सुरिंदर कौर का देहांत बीमारी के चलते 2011 में हो गया था.  बेटा-सुखबीर सिंह बादल पंजाब के फाज़िल्का निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं और पंजाब के उप-मुख्यमंत्री भी रह चुके है. प्रकाश सिंह बादल की बेटी का विवाह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के बेटे के साथ हुआ है. प्रकाश सिंह बादल ने अपनी शिक्षा लाहौर के क्रिश्चिन कॉलेज से ली थी. 

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