World Bollywood Day: साल 1982 में एक फिल्म रिलीज हुई थी निकाह. बीआर चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्‍म में कलाकर थे सिंगर सलमा आगा, राज बब्बर और दीपक पराशर. फिल्म ट्रिपल तलाक जैसे सेंसेटिव इश्यू पर बनी थी. रिलीज से पहले ही ये फिल्‍म सुर्खियों में रही. रिलीज के बाद भी इस फिल्‍म को लेकर काफी बवाल हुआ और 34 से भी ज्यादा केस दर्ज किए गए. आज 24 सितंबर को जब पूरी दुनिया विश्व बॉलीवुड दिवस का जश्न मना रही है तो इस मौके पर आपको बताते हैं इस फिल्‍म से जुड़े दिलचस्‍प किस्‍से.

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बलदेव राज चोपड़ा फिल्मी दुनिया का बड़ा नाम थे. पढ़े लिखे चोपड़ा लाहौर से प्रकाशित होने वाली फिल्मी मैगजिन में जर्नलिस्ट थे. बंटवारे के बाद भारत आए. पहले दिल्ली, फिर मुंबई. फिल्म मेकिंग की शुरुआत लाहौर में कर चुके थे तो मुंबई में भी उस जज्बे को जिंदा रखा. फिल्म मेकिंग में हाथ आजमाया और एक से बढ़कर एक इंसानी जज्बातों, रिश्तों को छूती फिल्म बनाने लगे. फिर आया साल 1982 और बेजोड़ कहानी के साथ बीआर चोपड़ा ने सिल्वर स्क्रीन पर संवेदनशील मुद्दे पर कहानी रची. अब सवाल ये कि आखिर इसका आइडिया कैसे आया?

एक कहानी से मिला आ‍इडिया

क्रेडिट जाता है लेखिका अचला नागर को, जिनकी एक छोटी सी कहानी छपी महिलाओं की प्रसिद्ध पत्रिका 'माधुरी' में. नाम था 'तोहफा'. ये कहानी लेकर इंसाफ का तराजू सेट पर अचला पहुंचीं. 'पापा जी यानी बीआर चोपड़ा को अपनी कहानी के बारे में बताया. वो कहानी उन्हें पसंद आई और उन्होंने इस पर 'तलाक, तलाक, तलाक' के नाम से फिल्‍म बनाने का फैसला लिया. 

कहानी की प्रेरणा कैसे मिली?

यहां ये बात भी जानना जरूरी है कि महान साहित्यकार अमृतलाल नागर की बेटी अचला को तोहफा लिखने की प्रेरणा मिली तो मिली कहां से? तो कहानी कुछ यूं है कि इन्होंने एक पत्रिका में संजय खान और जीनत अमान के तलाक की खबर पढ़ी. इसमें हलाला शब्द का भी जिक्र था. अचला रेडियो उद्घोषिका थीं. उन्हें समझ में नहीं आया तो पिता जी के खास जानकार से मतलब पूछा. अचला को जब पता चला तो वो खूब रोईं और यहीं से उनकी कहानी तोहफा ने जन्म लिया.

34 से ज्‍यादा केस दर्ज हुए

निकाह फिल्‍म बनने के बाद इसके खिलाफ 34 से भी ज्यादा केस दर्ज कराए गए. रिलीज के 4 दिन बाद ही विरोध में मुस्लिम समुदाय के तथाकथित धर्म गुरु खड़े हो गए. मामले के निपटान के लिए बीआर चोपड़ा ने मुस्लिम स्कॉलर्स के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग तक रखी और समझाया कि मुद्दा धार्मिक नहीं सामाजिक है. महिला अधिकार से जुड़ा है.

ऐसे बदला गया फिल्‍म का नाम

अब बात उस नाम की जिसे 'पापा जी' ने एक दोस्त संग हुई आम सी बातचीत के बाद हटा दिया. बंगाली दैनिक 'ई समय' ने एक छोटा सा लेख छापा था, जिसमें बताया कि चोपड़ा साहब के सेट पर एक मुस्लिम मित्र पहुंचे. उन्होंने कहा चोपड़ा साहब, एक दिक्कत है. मैं घर जाकर अपनी पत्नी से फिल्म देखने के लिए नहीं कह पाऊंगा, क्योंकि जब वो पूछेगी कि मैं उसे कौन सी फिल्म देखने के लिए कह रहा हूं तो फिल्‍म का नाम 'तलाक, तलाक, तलाक' सुनकर उसे दिल का दौरा पड़ जाएगा. दोस्‍‍त की ये बात बीआर चोपड़ा के दिल में घर कर गई और उन्होंने इस फिल्‍म का शीर्षक बदलकर 'निकाह' कर दिया.