दुनिया के ज्‍यादातर हिस्‍सों में 1 जनवरी को नव वर्ष मनाने का चलन है. हर साल 31 दिसंबर को लोग जश्‍न मनाकर पुराने वर्ष को अलविदा कहते हैं और नए वर्ष का जोरदार स्‍वागत करते हैं. आप भी न्‍यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए काफी तैयारियां करते होंगे, लेकिन क्‍या आपने कभी ये सोचा कि दुनिया के ज्‍यादातर जगहों पर हर साल 1 जनवरी को ही New Year क्‍यों शुरू होता है? यहां जानिए दिलचस्‍प जानकारी.

जानिए क्‍यों 1 जनवरी को मनाते हैं नव वर्ष

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दरअसल 1 जनवरी को नववर्ष की शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर होती है. मौजूदा समय में ये दुनिया का सबसे प्रचलित कैलेंडर है. इससे पहले करीब 45 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य में कैलेंडर का चलन हुआ करता था. लेकिन ये कैलेंडर बहुत जटिल होने के कारण रोम के शासक जूलियस सीजर ने इसमें बदलाव किया और जूलियन कैलेंडर की शुरुआत की. लंबे समय तक लोगों ने जूलियन कैलेंडर को अपनाया. जूलियन कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और आखिरी महीना फरवरी होता था. साथ ही इसमें एक साल 365.25 दिन का था.

लेकिन जूलियन कैलेंडर में कुछ खगोलीय गड़बड़ियों के कारण तिथियों का मेल नहीं बैठता था. 1582 में रोम के पोप ग्रेगोरी XIII ने जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर की गलती खोजी और जूलियन कैलेंडर में कुछ सुधार करके ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत की. ग्रेगोरियन कैलेंडर नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से की गई. इस कैलेंडर में 4 महीने 30 दिन के, 7 महीने 31 दिन के और फरवरी 28 दिन की होती है. 3 साल बाद यानी चौथे साल में फरवरी के आखिर में एक पूरा दिन जोड़ दिया जाता है. इसे लीप वर्ष कहते हैं और इस साल में फरवरी का महीना पूरे 29 दिनों का होता है. 

भारत में कब से हुई ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत

18वीं और 19वी सदी के आते आते यूरोपीय शक्ति खासतौर से ईसाई धर्म के शासकों का पूरी दुनिया पर वर्चस्व हो गया और इसके बाद दुनिया के अधिकतर देशों ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया. भारत में ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 1752 में हुई थी. तब से सभी सरकारी कामकाज ग्रेगोरियन कैलेंडर में ही हो रहे हैं. देश आजाद होने के बाद ग्रेगोरियन कैलेंडर को जारी रखने या उसकी जगह हिंदू कैलेंडर को अपनाए जाने पर गहन मंथन हुआ. लेकिन अंत में भारत सरकार ने ग्रेगोरियन के साथ- हिंदू विक्रम संवत को भी अपना लिया. हालांकि भारत में आज भी सरकारी कामकाज ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही होते हैं.