भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफल होने के साथ ही अमेरिका का अपोलो मिशन और नील आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग की यादें भी ताजा हो गई हैं. नील आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग चांद की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्‍यक्ति थे. नील अमेरिका के अपोलो 11 चंद्र मिशन का हिस्सा थे, जिसमें उनके सह-अंतरिक्ष यात्री के रूप में बज एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स भी शामिल थे. 20 जुलाई 1969 को चांद पर कदम रखने के बाद नील आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग कहा था कि 'ईगल (ईगल लूनर मॉड्यूल का नाम था) लैंड कर चुका है, इंसान के लिए छोटा सा कदम लेकिन मानवजाति के लिए लंबी छलांग'. आज नील आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग की पुण्‍यति‍थि है, इस मौके पर आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी खास बातें.

एयर रेस देखकर जागा उड़ान भरने का जुनून

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नील आर्मस्ट्रॉन्ग का जन्म 5 अगस्त 1930 को ओहायो के वापाकोनेटा शहर में हुआ था. उनके पिता ओहायो राज्‍य सरकार के लिए ऑडिटर के तौर पर काम करते थे. पिता की नौकरी के चलते उनके परिवार को कई शहर बदलने पड़े. आर्मस्ट्रॉन्ग जब महज दो साल के थे, तब उनके पिता उन्हें क्लीवलैंड एयर रेस दिखाने ले गए थे. यहीं से उनके अंदर उड़ान भरने का जुनून सवार हुआ. नील जब 5 साल के थे, तब उनके पिता उन्हें लेकर ओहायो के वारेन नामक जगह पर एक फोर्ड ट्राईमोटर हवाई जहाज में सवार हुए. तब नील को पहली हवाई उड़ान का अनुभव हुआ. अपने 16वें जन्मदिन पर नील ने स्टूडेंट फ्लाईट सर्टिफिकेट हासिल किया और उसी साल अगस्त में अकेले ही उड़ान भरी.

नौसेना पायलट के तौर पर करियर

आर्मस्ट्रांग को साल 1949 में को नौसेना से बुलावा मिला और उन्होंने पेंसाकोला नेवी एयर स्टेशन में अठारह महीने की ट्रेनिंग ली. 20 की उम्र पूरी करने के बाद उन्हें नेवल एविएटर (नौसेना पाइलट) का दर्जा मिल गया.  नौसेना में रहते हुए उन्होंने कोरिया युद्ध में भी हिस्सा लिया. आर्मस्ट्रांग ने कोरिया युद्ध में 78 मिशनों के दौरान उड़ान भरी और 121 घंटे हवा में गुजारे. इसके लिए उन्‍हें कई मेडल भी मिले. नील ने 1949 से 1952 तक नौसेना के एविएटर (पायलट) के रूप में सेवा दी थी. इसके बाद 1955 में आर्मस्ट्रॉन्ग नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एयरोनॉटिक्स (NACA) में शामिल हो गए थे.

NASA के लिए कई पदों पर काम किया

नील का पहला असाइनमेंट क्लीवलैंड में NACA लुईस रिसर्च सेंटर (अब नासा ग्लेन) के साथ था. अगले 17 वर्षों में उन्होंने NACA और इसकी उत्तराधिकारी एजेंसी NASA के लिए एक इंजीनियर, परीक्षण पायलट, अंतरिक्ष यात्री और एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में काम किया था. आर्मस्ट्रॉन्ग पहले मानवयुक्त चंद्र लैंडिंग मिशन अपोलो 11 के स्पेसक्राफ्ट कमांडर थे, इसलिए उन्हें इस अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर लैंड कराने और सतह पर पहला कदम रखने वाले पहले व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त हुआ. आर्मस्ट्रॉन्ग को अंतरिक्ष यात्री का दर्जा 1962 में मिला था. उन्हें जेमिनी 8 मिशन के लिए कमांड पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था. उस समय उन्‍होंने अंतरिक्ष में दो वाहनों की पहली सफल डॉकिंग की थी. 

अब तक ये लोग रख चुके हैं चांद पर कदम

  • नील आर्मस्ट्रांग (1930-2012)-अपोलो 11
  • एडविन "बज़" एल्ड्रिन (1930-)-अपोलो 11
  • चार्ल्स "पीट" कॉनराड (1930-1999)-अपोलो 12
  • एलन बीन (1932-2018)-अपोलो 12
  • एलन बी. शेपर्ड जूनियर (1923-1998)-अपोलो 14
  • एडगर डी. मिशेल (1930-2016)-अपोलो 14
  • डेविड आर. स्कॉट (1932-)-अपोलो 15
  • जेम्स बी. इरविन (1930-1991)-अपोलो 15
  • जॉन डब्ल्यू. यंग (1930-2018)-अपोलो 10 (ऑर्बिटल), अपोलो 16 (लैंडिंग)
  • चार्ल्स एम. ड्यूक (1935-)-अपोलो 16
  • यूजीन सर्नन (1934-2017)-अपोलो 10 (ऑर्बिटल), अपोलो 17 (लैंडिंग)
  • हैरिसन एच. श्मिट (1935-)-अपोलो 17

इन एस्‍ट्रोनॉट्स ने लगाए चांद के चक्‍कर

  • फ्रैंक बोर्मन (1928-)-अपोलो 8
  • विलियम ए. एंडर्स (1933-)-अपोलो 8
  • जेम्स ए. लोवेल जूनियर (1928-)-अपोलो 8, अपोलो 13
  • थॉमस स्टैफ़ोर्ड (1930-)-अपोलो 10
  • माइकल कोलिन्स (1930-2021)-अपोलो 11
  • रिचर्ड एफ. गॉर्डन जूनियर (1929-2017)-अपोलो 12
  • फ्रेड डब्ल्यू हाइज़ जूनियर (1933-)-अपोलो 13
  • जॉन एल. स्विगर्ट जूनियर (1931-1982)-अपोलो 13
  • स्टुअर्ट ए. रूसा (1933-1994)-अपोलो 14
  • अल्फ्रेड एम. वर्डेन (1932-2020)-अपोलो 15
  • थॉमस के. मैटिंगली II (1936-)-अपोलो 16
  • रोनाल्ड ई. इवांस (1933-1990)-अपोलो 17

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