Kab hai Ashtami aur Navami: इस बार अष्‍टमी और नवमी तिथि को लेकर लोगों के बीच बहुत कन्‍फ्यूजन है. जो लोग नवरात्रि पर अष्‍टमी का व्रत रखते हैं, वो ये समझ नहीं पा रहे हैं कि अष्‍टमी का व्रत कब रखा जाए और व्रत का पारण कब किया जाए. ये कन्‍फ्यूजन दो तिथियों के मिलने के कारण हो रहा है. दरअसल इस बार सप्तमी और अष्टमी तिथि एक ही दिन पड़ रही हैं, ऐसी स्थिति में अष्टमी व्रत करना शुभ नहीं माना जाता, इसलिए अष्‍टमी के व्रत की तिथि को लेकर लोगों में संशय बना हुआ है. ज्‍योतिषाचार्य डॉ.अरविन्द मिश्र से जानिए इस बारे में-

कब रखा जाएगा अष्‍टमी का व्रत

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ज्‍योतिषाचार्य के मुताबिक अष्‍टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12: 31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर दोपहर 12 :06 मिनट तक रहेंगी. इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी. ऐसे में अष्‍टमी का व्रत 11 अक्‍टूबर शुक्रवार को किया जाएगा. वहीं नवमी तिथि 11 अक्‍टूबर को को दोपहर में 12:06 बजे शुरू होगी और 12 अक्‍टूबर को सुबह 10:58 पर समाप्त होगी, ऐसे में कन्‍या पूजन (Kanya Pujan) 12 अक्‍टूबर को किया जाएगा. 12 अक्‍टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है, जो अगले दिन तक बना रहेगा. ऐसे में पूजन का अतिशुभ समय सुबह 09:03 बजे से 11:20 बजे तक रहेगा. वहीं शुभ समय 11:20 बजे से 01:24 बजे तक रहेगा.

कन्‍या पूजन का महत्‍व

नवरात्रि पूजन और व्रत कन्‍या पूजन के बगैर अधूरा माना जाता है. कन्‍या पूजन के रूप में नौ कन्‍याओं को पूजा जाता है. इन कन्‍याओं की आयु 10 वर्ष से कम होनी चाहिए. इन्‍हें मां दुर्गा के नौ रूप माना जाता है. इनके अलावा एक बालक को कन्‍या पूजन में बैठाया जाता है. इसे भैरव बाबा का रूप माना जाता है. कन्‍या पूजन और हवन के बाद आप कभी भी व्रत का पारण कर सकते हैं.

कैसे करें व्रत का पारण

व्रत का पारण करने से पहले कन्‍या पूजन करना चाहिए. कन्‍या पूजन के दौरान कन्‍याओं को सम्‍मान के साथ भोजन कराएं. उनके पैर धुलवाएं और भरपेट भोजन के बाद उन्‍हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें. उन्‍हें ससम्‍मान विदा करें. इसके बाद हवन करना चाहिए. फिर प्रसाद खाकर व्रत का पारण करना चाहिए.