इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं. पितृ पक्ष अमावस्‍या के बाद शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन शारदीय नवरात्रि का पहला दिन होता है. इस दिन लोग घर पर कलश स्‍थापना करते हैं और नौ दिनों के व्रत की शुरुआत होती है. जो लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं, वो भी कम से कम नवरात्रि के पहले दिन और अष्‍टमी के दिन व्रत जरूर रखते हैं. नवरात्रि के दिनों को बेहद शुभ माना जाता है. देवशयनी एकादशी के बाद जिन शुभ कामों पर देवउठनी एकादशी तक रोक लग जाती है, वे शुभ काम इन नौ दिनों के बीच किए जा सकते हैं. ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं नवरात्रि का महत्‍व, कलश स्‍थापना के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में. 

शारदीय नवरात्रि का महत्‍व

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ज्‍योतिषाचार्य का कहना है कि शारदीय नवरात्रि बुराई पर अच्‍छाई की जीत का पर्व है. ये दिन मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं. देवी भागवत की कथा के अनुसार जब महिषासुर का आतंक धरती पर काफी बढ़ गया तो सभी देवी देवताओं ने त्रिदेव से मदद मांगी, लेकिन ब्रह्मा जी के वरदान के कारण त्रिदेव ने असमर्थता जताई. इसके बाद त्रिदेवों ने अपनी शक्ति से मां दुर्गा का सृजन किया. सभी देवताओं नें मां दुर्गा को अपनी-अपनी शक्ति और अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए. इसके बाद मां दुर्गा का नौ दिनों तक महिषासुर के साथ युद्ध चला. दसवें दिन उसका वध किया. इस बीच मां दुर्गा की शक्ति और सामर्थ्‍य ने देवताओं को भी चकित कर दिया. तब से नवरात्रि के नौ दिन शक्ति की पूजा के लिए स‍मर्पित माने जाते हैं और दसवें दिन दशहरे का पर्व मनाया जाता है. ज्‍योतिषाचार्य बताते हैं कि रावण के वध से पहले प्रभु श्रीराम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी और विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्‍त किया था. इसके बाद दशहरे के दिन रावण का वध किया था.  

कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त

ज्‍योतिषाचार्य बताते हैं कि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को सुबह 03:23 बजे शुरू होगी और 27 सितंबर को सुबह 03:08 बजे तक रहेगी. ऐसे में नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर से होगा. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 11 मिनट से लेकर 07 बजकर 51 मिनट तक है. वहीं सुबह 06 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक चौघड़िया का अमृत्त सर्वोत्तम मुहूर्त है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त को भी कलश स्‍थापना के लिए शुभ माना जाता है. आप दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्‍थापना कर सकते हैं. 

कलश स्‍थापना विधि

सबसे पहले घर में पूजा के स्‍थान की सफाई करें या फिर एक चौकी रखकर उस पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा रखें. भगवान गणेश को याद कर पूजन कार्य प्रारंभ करें. दुर्गा के सामने उनके नाम की अखंड ज्योत जलाएं. मिट्टी का चौड़ा पात्र लेकर उसमें थोड़ी मिट्टी डालें, उसमें जौ के बीच डालें. एक कलश या घर के लोटे को अच्छे से साफ करके उस पर कलावा बांधें और स्वास्तिक बनाएं. कलश में गंगा जल डालकर पानी भरें. उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और दक्षिणा डालें. इसके बाद कलश के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और कलश को बंद करें. इसके ढक्कन के ऊपर अनाज भरें. नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर इसके ऊपर रखें. अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें. इसके बाद सभी देवी देवताओं का आवाह्न  करके माता के सामने व्रत का संकल्प लें और विधिवत पूजा शुरू करें. कलश स्‍थापना करने के बाद नौ दिनों तक इसे बिल्‍कुल न हिलाएं, लेकिन नियमित पूजन जरूर करें.