भारत में प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ माना जाता है. अगर प्रेस की ताकत को समझना हो तो अकबर इलाहाबादी की मशहूर पंक्तियां काफी कुछ बयां करती हैं. अकबर इलाहाबादी ने कहा है कि 'खींचो न कमान, न तलवार निकालो जब तोप मुकाबिल हो तब अखबार निकालो.' इन लाइनों से प्रेस की ताकत को अच्‍छे से समझा जा सकता है. आजादी के समय से लेकर अब तक भारत में प्रेस की बहुत बड़ी भूमिका रही है. आजादी की जंग के दौरान प्रेस भारत के क्रांतिकारियों का सबसे बड़ा हथियार रहा है. हर साल भारत में 16 दिसंबर को राष्‍ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) मनाया जाता है. लेकिन इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए 16 दिसंबर की तारीख को ही क्‍यों चुना गया? यहां जानिए इसके बारे में.

राष्ट्रीय प्रेस दिवस का इतिहास

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भारत में राष्‍ट्रीय प्रेस दिवस भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. पत्रकारिता के ऊंचे आदर्श स्थापित करने व प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने के उद्देश्य से 4 जुलाई 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई थी. लेकिन इस परिषद ने 16 दिसंबर 1966 से विधिवत तरीके से काम करना शुरू किया था. इस कारण हर साल 16 दिसंबर को राष्‍ट्रीय प्रेस डे मनाया जाता है.

क्‍या है भारतीय प्रेस परिषद 

भारतीय प्रेस परिषद यानी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक वैधानिक निकाय है, जिसे मीडिया के संचालन की निगरानी का अधिकार मिला है. इसके एक अध्यक्ष होते हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज होते हैं. इसके अलावा 28 अन्य सदस्य होते हैं, जिनमें से 20 प्रेस से होते हैं, पांच संसद के दोनों सदनों से नामित होते हैं और तीन प्रतिनिधित्व करते हैं. भारत में प्रेस को वॉच डॉग और भारतीय प्रेस परिषद को मोरल वॉच डॉग कहा जाता है.

कौन हैं PCI के अध्‍यक्ष

मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुईं न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई भारतीय प्रेस परिषद के अध्‍यक्ष पद पर आसीन हैं. वे परिषद की पहली महिला अध्‍यक्ष हैं.18 जून 2022 में PCI के अध्‍यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति हुई थी. वह जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग, उत्तराखंड यूनिफार्म सिविल कोड ड्राफ्टिंग कमेटी समेत कई अहम समितियों की सदस्‍य रह चुकी हैं.