National Pollution Control Day: बाहरी प्रदूषण से कहीं ज्यादा खतरनाक है घर के अंदर का प्रदूषण, जानिए वजह और बचाव के तरीके
आपको जानकर हैरानी होगी कि बाहरी प्रदूषण से भी कहीं ज्यादा खतरनाक होता है आपके घर के अंदर का वो प्रदूषण है, जो आपको दिखता भी नहीं, लेकिन आपके शरीर को अंदर ही अंदर कमजोर और बीमार बना रहा है.
पिछले कुछ समय से प्रदूषण एक बड़ी समस्या बना हुआ है. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में तो प्रदूषण के कारण आसमान में धुंध की लेयर बनी हुई है और लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. प्रदूषण के कारण लोगों को एलर्जी, आंखों में जलन, खांसी, गले में खराश और फेफड़ों से जुड़ी कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. आमतौर पर लोग आउटडोर पॉल्यूशन को ही प्रदूषण मानते हैं क्योंकि ये उन्हें दिखता भी है और इसका दुष्प्रभाव भी वो महसूस कर पाते हैं.
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बाहरी प्रदूषण से भी कहीं ज्यादा खतरनाक होता है आपके घर के अंदर का वो प्रदूषण है, जो आपको दिखता भी नहीं, लेकिन आपके शरीर को अंदर ही अंदर कमजोर और बीमार बना रहा है. हर साल 2 दिसंबर को नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे (National Pollution Control Day) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य देशभर में बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरुक करना है, ताकि इसके दुष्प्रभावों से आम लोगों को बचाया जा सके. आज इस मौके पर हम आपको बताएंगे क्या होता है इनडोर पॉल्यूशन (Indoor Pollution), ये कैसे फैलता है और इससे बचाव कैसे किया जाए?
बाहरी प्रदूषण से बढ़ता घर के अंदर का प्रदूषण
इस मामले में नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकान्त शर्मा बताते हैं कि आउटडोर पॉल्यूशन बढ़ने से इंडोर पॉल्यूशन अपने आप बढ़ जाता है. अगर खिड़की और दरवाजे खुले हैं या सही ढंग से बंद नहीं हैं तो दोनों ही स्थितियों में घर में प्रदूषण होने का खतरा रहता है. सर्दियां आ गई हैं, जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी लोग घरों में आग जलाएंगे या हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल करेंगे. ये सभी चीजें इनडोर पॉल्यूशन की वजह हैं. इतना ही नहीं, सुगंन्ध के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट, सिगरेट, पेंट्स आदि भी इनडोर पॉल्यूशन की वजह हैं.
आरामतलबी भी है इनडोर पॉल्यूशन की वजह
जैसे-जैसे आराम करने के साधन बढ़े हैं, वैसे-वैसे इनडोर पॉल्यूशन भी बढ़ता जा रहा है. आज के समय में इंसान ने पेड़ पौधों को काट दिया है. इससे बाहर का तापमान बदल गया तो वो घर के अंदर एसी लगाकर रहने लगा. उसने घर के अंदर पानी को ठंडा करने के लिए फ्रिज आदि साधन जुटा लिए. लैपटॉप के जमाने में वाईफाई आ गया, जो 24 घंटे ऑन रहता है. इंसान को खुद भी नहीं पता कि जिन साधनों को वो अपने आराम के लिए इस्तेमाल कर रहा है, वो उसके जीवन के लिए कितने खतरनाक हैं. इसके अलावा गांवों में गोबर के कंडे और लकड़ी आदि जलाने से इनडोर पॉल्यूशन फैलता है.
इनडोर पॉल्यूशन के कारण होती हैं लाखों मौतें
डॉ. रमाकान्त शर्मा कहते हैं कि फ्रिज से निकलने वाली गैस हमारे घर के अंदर रहती है. कई बार लोग फ्रिज को अपने कमरे में रख लेते हैं, ऐसे में 24 घंटे उस गैस के संपर्क में रहते हैं. इसके अलावा माइक्रोवेव अवन, एसी, वायरलेस कंप्यूटर, कॉर्डलेस फोन और दूसरे वायरलेस डिवाइस, वाईफाई आदि भी रेडिएशन फैलाते हैं. हम सभी आज के समय में इन चीजों के बीच में जीने के आदी हो गए हैं. देखा जाए तो हम बाहरी प्रदूषण से तो किसी तरह खुद को बचा भी लें, लेकिन घर के अंदर के पॉल्यूशन से खुद को बचान और भी बड़ा चैलेंज बन गया है. ऑक्सफोर्ड की संस्था ourworldindata.org के मुताबिक, दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रीमेच्योर डेथ इंडोर पॉल्यूशन की वजह से होती हैं. इसके अलावा इनडोर पॉल्यूशन के कारण ही आजकल व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, शॉर्ट टेंपर होना, तनाव, नींद की कमी, डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो रही हैं.
फ्लैट में अधिक होता है इनडोर पॉल्यूशन
जैसे जैसे देश की जनसंख्या बढ़ती जा रही है, वैसे वैसे फ्लैट की संस्कृति भी बढ़ रही है क्योंकि जगह सीमित है. लेकिन फ्लैट कल्चर ने इनडोर पॉल्यूशन को ज्यादा बढ़ावा दिया है क्योंकि फ्लैट में वेंटिलेशन ठीक से नहीं होता. हम सब ज्यादातर आउटडोर पॉल्यूशन की बात करते हैं. लेकिन वास्तव में इनडोर पॉल्यूशन को लेकर जागरुक रहना भी बहुत जरूरी है.
बचाव के लिए क्या करें
- घर की बालकनी या आंगन में गमलों में पीपल, तुलसी आदि वो पौधे लगाएं जो प्रदूषण को दूर करके हवा को साफ करते हों.
- घर को पूरी तरह बंद न रखें, खिड़की व दरवाजे दिन में खोलें ताकि हवा और धूप घर में आ सके.
- घर के अंदर भी इनडोर प्लांट्स लगाएं. ये पौधे अंदर के पॉल्यूशन को कम करने में मददगार होंगे.
- फ्रिज को बेडरूम में रखने के बजाय ऐसे स्थान पर रखें जहां कम रहना होता हो. इलेक्ट्रॉनिक चीजों का सीमित प्रयोग करें.