National Cancer Awareness Day 2024: बच्चों को भी हो सकती है ये खतरनाक बीमारी, हर साल सामने आते हैं करीब 4 लाख मामले
भारत में हर साल 7 नवंबर को National Cancer Awareness Day मनाया जाता है ताकि लोगों को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में जागरुक किया जा सके. आज इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं बच्चों में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर के बारे में. जानिए इनका कारण, लक्षण और जरूरी जानकारी.
Cancer in Children: कैंसर इतनी खतरनाक बीमारी है जिसका नाम सुनकर ही लोग डर जाते हैं. इसका कारण है कि ये बीमारी इतने चुपके से शरीर में विकसित होती है कि मरीज को समझने का मौका ही नहीं मिल पाता. जब तक इसके लक्षण पता चलते हैं, तब तक रोग तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंच चुका होता है और इसे संभालना मुश्किल हो जाता है. कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. आमतौर पर लोगों की धारणा होती है कि कैंसर की बीमारी आमतौर पर वयस्कों को होती है. लेकिन सच तो ये है कि ये बीमारी उम्र देखकर नहीं आती. बच्चे भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं.
WHO के अनुसार हर साल 0-19 वर्ष की उम्र के करीब 4,00,000 बच्चे और किशोर इस बीमारी से पीड़ित होते हैं. भारत में कैंसर की रोकथाम, शुरुआती पहचान और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है. इस मौके पर आइए आपको बताते हैं बच्चों में होने वाले कैंसर से जुड़ी जरूरी बातें.
ये हैं बच्चों में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर
WHO के अनुसार बच्चों में ज्यादातर ल्यूकेमिया, ब्रेन कैंसर, लिम्फोमा और सॉलिड ट्यूमर जैसे न्यूरोब्लास्टोमा और विल्म्स ट्यूमर वगैरह देखने को मिलते हैं. ल्यूकेमिया बच्चों में होने वाला सबसे आम कैंसर है. डब्ल्यूएचओ की मानें तो कैंसर किसी भी उम्र पर शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है. ये सिंगल सेल्स में आनुवांशिक बदलाव के कारण होता है और फिर बढ़ते हुए एक ट्यूमर में तब्दील हो जाता है. अगर समय रहते इसकी पहचान न हो पाए और इसका इलाज न किया जाए तो ये तेजी से फैलता है और मौत की वजह बन सकता है. देखा जाता है कि हाई इनकम वाले देश जहां बेहतर सुविधाएं और इलाज वगैरह मौजूद हैं, वहां करीब 80 फीसदी बच्चे ठीक हो जाते हैं, लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 30 फीसदी बच्चे ही रिकवर हो पाते हैं.
बच्चों में कैंसर का कारण
डब्ल्यूएचओ के अनुसार बच्चों में कैंसर के सटीक कारण का पता फिलहाल नहीं चल पाया है. बच्चों में कैंसर का पता लगाने के लिए बहुत सारी स्टडीज की गईं, लेकिन बच्चों में बहुत कम मामलों में ही कैंसर, लाइफस्टाइल या एनवॉयरनमेंटल फैक्टर्स की वजह से पाए गए हैं. कुछ क्रॉनिक इंफेक्शन जैसे एचआईवी, एपस्टीन-बार वायरस और मलेरिया को चाइल्डहुड कैंसर का रिस्क फैक्टर्स माना जाता है.
इसके अलावा तमाम अन्य संक्रमणों के चलते बच्चे में वयस्क होने पर कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है, ऐसे में लिवर कैंसर को रोकने के लिए हेपेटाइटिस बी के खिलाफ और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारी से बचाव के लिए ह्यूमन पेपिलोमावायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन करवाना बेहद जरूरी है. कैंसर से पीड़ित सभी बच्चों में से लगभग 10% में आनुवंशिक कारकों के कारण भी ये समस्या होती है. हालांकि बच्चों में कैंसर की ग्रोथ को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स की पहचान करने के लिए और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है.
बच्चों में कैंसर के लक्षण
- शरीर पर कहीं गांठ, सूजन या दर्द होना
- लंबे समय तक अकारण ही बुखार रहना
- शरीर में अकारण ही पीलापन
- बिना वजह कमजोरी होना
- आसानी से कहीं भी खरोंच लगना और खून आना
- सिरदर्द के साथ अक्सर उल्टी होना
- आंखों की रोशनी घटना
- वजन में अचानक कमी आना
- शरीर पर लाल धब्बे आदि
स्क्रीनिंग से नहीं होती पहचान
ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि चाइल्डहुड कैंसर की पहचान या इसकी रोकथाम स्क्रीनिंग के जरिए नहीं की जा सकती. ऐसे में बच्चों के कैंसर को लेकर बहुत अलर्ट रहने की जरूरत है. अगर आपको अपने बच्चे में इस तरह के कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो लापरवाही न करें. विशेषज्ञ की सलाह से उसकी जरूरी जांचें करवाएं. अगर कैंसर की पहचान समय रहते कर ली जाए और बच्चे को सही इलाज मिल जाए, तो जान बचाई जा सकती है. चाइल्डहुड कैंसर जेनेरिक दवाओं, सर्जरी और रेडियोथेरेपी वगैरह के जरिए ठीक किया जा सकता है. ज्यादातर मामलों में चाइल्डहुड कैंसर से मौत की वजह, बीमारी की पहचान समय से न हो पाना, इलाज न मिल पाना, सही इलाज न मिल पाना आदि को माना जाता है.