Naraka Chaturdashi 2024: 29 अक्‍टूबर को धनतेरस के साथ दिवाली का त्‍योहार शुरू हो चुका है. आज 30 अक्‍टूबर बुधवार को छोटी दिवाली है. इस दिन को नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) और रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) के तौर पर भी जाना जाता है. इस दिन लोग घर में साफ-सफाई करते हैं. शरीर पर उबटन वगैरह लगाकर रूप को निखारते हैं. घर को सजाते हैं और दिवाली के दिन माता लक्ष्‍मी के आगमन की तैयारी करते हैं. छोटी दिवाली के दिन शाम के समय घर के मेन गेट पर चौमुखी दीपक जलाया जाता है. इसे यमदीप कहा जाता है. आइए आपको बताते हैं यमदीप का महत्‍व और इसे जलाने का शुभ समय.

इसलिए जलाया जाता है यमदीप

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा की जाती है. यमराज की दिशा दक्षिण मानी गई है, इसलिए इस दिन घर के मुख्‍य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर चौमुखी दीपक जलाया जाता है.यमराज को समर्पित होने के कारण इसे यमदीप कहा जाता है. मान्‍यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने और यमदीपक जलाने से परिवार के सदस्‍यों के ऊपर से अकाल मृत्‍यु का खतरा टलता है और उनकी आयु बढ़ती है. 

ये है यमदीप का शुभ समय

कार्तिक मास कृष्‍ण पक्ष चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर बुधवार के दिन दोपहर में 01:04 बजे से होगी और इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर की दोपहर 03:11 पर होगी. नरक चतुर्दशी पर यमराज पूजन और चौमुखी दीपक जलाने का शुभ समय शाम 07:09 से लेकर 10:24 के बीच में है. 

यमदीप जलाने के नियम

नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्‍य द्वार की चौखट पर जलने वाले इस दीपक में दो बत्तियां क्रॉस करके इस तरह लगाई जानी चाहिए कि उनके मुख चारों दिशाओं में रहें. दीपक को एक तरफ से जलाया जाता है और इसे मुख्‍य द्वार की चौखट पर इस तरह से रखा जाए कि जलती हुई बाती दक्षिण दिशा की ओर रहे. दक्षिण दिशा में यमराज और सभी पूर्वजों का निवास माना गया है. दीपक रखने के बाद यमराज से परिवार के लोगों की दीर्घायु और उनके जीवन की समस्‍याओं का अंत करने की प्रार्थना करें. जब तक दीपक जले, इसकी निगरानी करें और दीपक के विदा होने के बाद इसे घर के अंदर किसी स्थान पर रख दें.