Narak Chaturdashi 2023: इस दिन क्यों मुख्य द्वार पर जलाते हैं दीया, क्या है यमदीप का महत्व?
धनतेरस (Dhanteras) के बाद छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है. इस दिन यमराज की पूजा होती है और यमदीप जलाया जाता है. जानिए इस दीपक का महत्व, नियम और जलाने का शुभ समय.
धनतेरस (Dhanteras) के बाद छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इसे नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) और रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) जैसे नामों से भी जाना जाता है. इस साल नरक चतुर्दशी का पर्व 11 नवंबर शनिवार को है. इस दिन घर की साफ-सफाई की जाती है और शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है. इसे यमदीप कहा जाता है. यमदीप को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, इसलिए इसे जलाते समय कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा जाता है. जानिए यमदीप को जलाने का शुभ समय, महत्व और इसके नियम.
अकाल मृत्यु का खतरा टलता है
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा की जाती है. यमराज की दिशा दक्षिण मानी गई है, इसलिए इस दिन दक्षिण दिशा की ओर चौमुखी दीपक जलाया जाता है. यमराज को समर्पित होने के कारण इसे यमदीप कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने और यमदीपक जलाने से परिवार के सदस्यों के ऊपर से अकाल मृत्यु का खतरा टलता है और उनकी आयु बढ़ती है. इस दीपक को घर के मुख्य द्वार की चौखट पर रखा जाता है.
यमदीप जलाने के नियम
नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार की चौखट पर जलने वाले इस दीपक में दो बत्तियां क्रॉस करके इस तरह लगाई जानी चाहिए कि उनके मुख चारों दिशाओं में रहें. दीपक को एक तरफ से जलाया जाता है और इसे मुख्य द्वार की चौखट पर इस तरह से रखा जाए कि जलती हुई बाती दक्षिण दिशा की ओर रहे. दक्षिण दिशा में यमराज और सभी पूर्वजों का निवास माना गया है. दीपक रखने के बाद यमराज से परिवार के लोगों की दीर्घायु और उनके जीवन की समस्याओं का अंत करने की प्रार्थना करें. जब तक दीपक जले, इसकी निगरानी करें और दीपक के विदा होने के बाद इसे घर के अंदर किसी स्थान पर रख दें.
नरक चौदस पर दीपदान का समय
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर प्रारंभ होगी और 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. नरक चतुर्दशी पर यमराज पूजन और चौमुखी दीपक जलाने का शुभ समय शाम 05:40 मिनट से 07:36 तक है.