Mahakumbh History and Significance: आज से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है. ये मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है, इसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा. महाकुंभ मेला हर 12 साल में लगता है, लेकिन जब ये 144 साल बाद लगता है तो पूर्ण महाकुंभ के रूप में जाना जाता है. इस बार का महाकुंभ भी पूर्ण महाकुंभ है, इसलिए इसे बेहद खास माना जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे हुई थी महाकुंभ की शुरुआत और ये हर 12 वर्ष में ही क्‍यों लगता है.

कब लगा था पहला महाकुंभ

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पहला महाकुंभ कब लगा था इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के बाद से इसकी शुरुआत हो गई थी. वहीं तमाम लोगों का मानना है कि महाकुंभ की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी. महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल पर हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्‍जैन में किया जाता है.

क्‍यों हर 12 साल पर होता है आयोजन

कहा जाता है कि समुद्र मंथन में निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था. ये 12 दिन पृथ्‍वी के 12 साल के बराबर थे. इसलिए हर 12 साल पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. युद्ध के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्‍जैन में गिरीं थीं इसलिए महाकुंभ का आयोजन इन 4 जगहों पर किया जाता है.

कुंभ और महाकुंभ में अंतर

कुंभ मेला हर 3 साल पर आयोजित किया जाता है. ये मेला भी  हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्‍जैन में बारी-बारी से आयोजित होता है, जबकि महाकुंभ 12 साल पर आयोजित किया जाता है. इस साल का महाकुंभ प्रयागराज में संगम तट पर आयोजित हुआ है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां आपस में मिलती हैं.

ये हैं महाकुंभ शाही स्‍नान की तिथियां

महाकुंभ मेले का पहला शाही स्नान आज 13 जनवरी को हो रहा है. दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति पर होगा, तीसरा स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर होगा, चौथा शाही स्नान 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा, पांचवां शाही स्नान 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा पर होगा और आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा.