Lunar eclipse 2023 in India: बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगेगा चंद्रग्रहण, जानिए सूतक के नियम लागू होंगे या नहीं
Chandra Grahan 2023 Sutak Kaal: किसी भी ग्रहण को वैज्ञानिक रूप से एक खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है, जबकि ज्योतिष में इसे अशुभ घटना माना जाता है. ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है.
Chandra Grahan 2023 Date: साल का दूसरा ग्रहण और पहला चंद्र ग्रहण (First Lunar Eclipse 2023) 5 मई को लगने जा रहा है. इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2023) भी है. ये चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा. किसी भी ग्रहण को वैज्ञानिक रूप से एक खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है, जबकि ज्योतिष में इसे अशुभ घटना माना जाता है. ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है. हालांकि ये सूतक काल (Sutak Kaal) वहीं मान्य होता है, जहां पर ग्रहण दिखाई देता है. आइए आपको बताते हैं कि 5 मई वाला चंद्र ग्रहण कहां-कहां दिखाई देगा, इसमें सूतक के नियम (Sutak Rules) लागू होंगे या नहीं और आखिर ये सूतक होता क्या है?
कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण और कितने बजे लगेगा
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगने वाला ये चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan on Buddha Purnima 2023) रात के 8:45 से प्रारंभ होगा और देर रात 01:02 बजे समाप्त होगा. इस चंद्र ग्रहण को यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा. ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा.
सूतक के नियम मान्य होंगे या नहीं
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है. सिर्फ उसकी क्रान्ति मामूली सी मलिन होती है, इस कारण चंद्रमा का रंग थोड़ा मटमैला सा नजर आता है. इसलिए उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक के नियम मान्य नहीं होते हैं. इसलिए 5 मई के चंद्र ग्रहण में भी सूतक मान्य नहीं होगा.
क्या होता है सूतक काल
सूतक काल को शास्त्रों में अशुभ काल माना गया है. सूतक ग्रहण से कुछ घंटे पहले लग जाता है. सूतक काल को लेकर मान्यता है कि उस समय में वातावरण में नकारात्मकता मौजूद होती है. हर तरफ अशुद्धि होती है. इस कारण से सूतक काल में देवताओं के पूजा-पाठ की भी मनाही होती है. खाने-पीने की मनाही होती है, किसी भी शुभ काम को करने की मनाही होती है. गर्भवती महिला और उसके बच्चे को ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए सूतक काल में विशेष नियमों को पालन करने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष के मुताबिक सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है.
वैज्ञानिक रूप से समझें उपच्छाया चंद्र ग्रहण
जब ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया (Penumbra) में प्रवेश करता है और वहीं से बाहर निकल जाता है. ऐसे में सिर्फ चंद्रमा के रंग में हल्का सा फर्क आता है और वो सफेद की जगह मटमैला दिखता है. तब इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस चंद्र ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता. लेकिन जब चांद पृथ्वी की असली छाया में प्रवेश करता है, तब वास्तविक चंद्र ग्रहण होता है और सूतक के नियम लागू होते हैं.
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