भारत में करीब 10 फीसदी लोग किडनी की समस्‍याओं से जूझ रहे हैं. एम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 7% लोगों की किडनी खराब होने की वजह पेन किलर है. एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ भौमिक के मुताबिक किडनी के मामलों में सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उसके खराब होने का पता इतनी देर से चलता है कि 70% मरीजों में रिकवरी के आसार कम हो जाते हैं. यही वजह है कि किडनी फेल्योर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. 

रुटीन चेकअप जरूरी ताकि समय पर पकड़ में आए बीमारी

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डॉ. भौमिक के मुताबिक ब्लड में यूरिया और क्रिएटिनिन की जांच और समय-समय पर यूरिन की जांच करवा ली जाए तो किडनी में किसी तरह की परेशानी के शुरुआती संकेत मिल सकते हैं. लक्षण सामने आने तक अक्सर बहुत देर हो चुकी हो जाती है, इसलिए हर व्‍यक्ति को समय-समय पर रुटीन चेकअप कराते रहना चाहिए ताकि समस्या समय पर पकड़ में आ सके.

मुश्किल में बीतता है किडनी मरीजों का जीवन

किडनी के इलाज के लिए दवाई सर्जरी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट समेत कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन किडनी की गंभीर बीमारी वाले मरीजों का जीवन अक्सर मुश्किल में बीतता है. किडनी के मरीजों का ब्लड प्रेशर भी हाई रहने का खतरा बना रहता है और खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा भी अक्सर कम रहती है. इसकी वजह से ऐसे मरीज हमेशा बीमार महसूस करते हैं और उनका इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है.

किडनी की सेहत के लिए पानी पीना जरूरी

किडनी का सबसे महत्वपूर्ण काम खून को फिल्टर करना है. किडनी इस काम को अच्‍छी तरह से करती रहे और सेहतमंद बनी रहे, इसके लिए भरपूर पानी पीना बहुत जरूरी है. किडनी हड्डियों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए विटामिन डी को भी एक्टिवेट करती है और कैल्शियम को पचाने में मदद करती है. लेकिन इसके लिए किडनी को भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, सोडियम और पोटेशियम की जरूरत होती है. इसलिए जितना संतुलित खाना खाएंगे और जितना भरपूर पानी पंगे किडनी को उतनी कम मेहनत करनी होगी.

आयुर्वेदिक इलाज से हो रहा फायदा

राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान के रिसर्चर्स ने मरीजों पर टेस्ट करने के बाद यह देखा कि आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी को फायदा हो रहा है. बेंगलुरु के राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान ने किडनी की शुरुआती बीमारी के शिकार मरीजों को आयुर्वेदिक दवा नीरी केएफटी‌ खाने को दी. 42 दिनों तक दवा देने के बाद इन मरीजों में क्रिएटिनिन के लेवल में सुधार हुआ और यह भी देखा गया कि किडनी खून को अच्छी तरह से फिल्टर कर रही है.

इस रिसर्च को ईरान के मेडिकल जर्नल एविसेना जर्नल ऑफ मेडिकल बायोकेमिस्ट्री ने प्रकाशित किया है. रिसर्च करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक नीरी केएफटी 19 जड़ी-बूटियों से बनी एक भारतीय आयुर्वेदिक दवा है जिसमें पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, पलाश, और गिलोय मिले हुए है. यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां किडनी की सफाई करने में अहम भूमिका निभाती है.

भारतीय वैज्ञानिकों के साथ खोज करने वाले एमिल फार्मा के निदेशक डॉ. संचित शर्मा के मुताबिक आयुर्वेद में किडनी को मजबूती देने वाली कई दवाईयां मौजूद हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक दुनियाभर में क्रॉनिक किडनी की बीमारी का बोझ लगातार बढ़ रहा है. वैश्विक स्तर पर यह करीब 13 फीसदी तक है. भारत की बात करें तो 10 में से नौ किडनी मरीज डायलिसिस और ट्रांसप्लांट जैसे महंगे इलाज नहीं करवा पाते. ऐसे में आयुर्वेदिक दवाएं भी एक सस्ता विकल्प हो सकती हैं. हालांकि नीम हकीम से दवा लेने के बजाय प्रशिक्षित आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में ही इलाज करवाना चाहिए.