डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी को हो जाए तो जीवनभर पीछा नहीं छोड़ती. इसे पूरी तरह से खत्‍म नहीं किया जा सकता. हालांकि दवाओं और लाइफस्‍टाइल की आदतों में सुधार करके इस बीमारी को नियंत्रित रखा जा सकता है. डायबिटीज को पहले बुजुर्गों की बीमारी कहा जाता था, लेकिन आज के समय में युवा तो क्‍या बच्‍चे भी इससे नहीं बच पाए हैं. आज 14 नवंबर को विश्‍व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) के मौके पर आइए आपको बताते हैं बच्‍चों में डायबिटीज की वजह, लक्षण और अन्‍य जरूरी बातें.

पहले समझिए बच्‍चों को कौन सी डायबिटीज होती है?

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डायबिटीज 2 प्रकार की होती है टाइप-1 और टाइप-2. आमतौर पर बच्‍चों को टाइप-1 अपना शिकार बनाती है, इसलिए इसे चाइल्‍डहुड डायबिटीज भी कहा जाता है. हालांकि कुछ बच्‍चों को टाइप-2 डायबिटीज भी हो सकती है. टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है. इसमें शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम पैनक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करता है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन बहुत कम या बिलकुल नहीं होता. वहीं टाइप-2 डायबिटीज खराब लाइफस्‍टाइल, मोटापे या आनुवांशिक कारणों से हो सकती है. इसमें पैनक्रियाज पहले की तुलना में कम इंसुलिन बनाता है या शरीर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता.

बच्‍चों में डायबिटीज होने की क्‍या है वजह

बच्‍चों में टाइप-1 डायबिटीज की सटीक वजह का पता अभी तक नहीं चल पाया है. कुछ रिसर्च बताती हैं कि ये बीमारी जेनेटिक एक्‍सप्रेशन, इंफ्लेमेशन लेवल और कुछ मामलों में वायरल इंफेक्‍शन की वजह से हो सकती है.

इन लक्षणों को न करें इग्‍नोर

  • बहुत ज्‍यादा प्यास लगना
  • बार-बार यूरिन आना
  • वजन कम होना
  • ज्‍यादा थकान होना
  • बिस्‍तर गीला करना
  • धुंधली दृष्टि आदि

टाइप-1 डायबिटीज का इलाज

टाइप-1 डायबिटीज की चपेट में अगर बच्‍चे आ जाएं तो उनके आगे की लाइफ मुश्किल हो सकती है. ऐसे में इस मामले में बेहद गंभीरता से ध्‍यान देने की जरूरत होती है. Centers for Disease Control and Prevention (CDC) के अनुसार टाइप 1 मधुमेह के मरीजों को हर दिन इंसुलिन लेने की जरूरत होती है, ताकि शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल को मैनेज किया जा सके और एनर्जी दी जा सके. इसके अलावा डॉक्‍टर के निर्देशानुसार रेगुलर डायबिटीज की जांच करने की जरूरत पड़ती है. इन सबके अलावा डायबिटीज को कंट्रोल रखने के लिए जरूरी है कि आप स्‍ट्रेस को नियंत्रित करें. फिजिकल एक्टिविटीज करें, नींद पूरी लें. इसके अलावा आप डॉक्‍टर के सभी निर्देशों का पालन करें.