पारिजात को दैवीय पेड़ माना गया है. कहा जाता है कि इस पौधे को स्‍वयं श्रीकृष्‍ण स्‍वर्ग से लेकर आए थे. इस पेड़ के फूलों की खुशबू इतनी अच्‍छी होती है कि घर का आंगन और पूरा बगीचा महक उठता है. पारिजात को हरसिंगार और रात की रानी जैसे नामों से भी जाना जाता है. इस पेड़ को आयुर्वेद में बेहद गुणकारी माना गया है और इसे औषधीय पेड़ कहा जाता है. 

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पारिजात की छाल, पुष्‍प और इसके पत्‍तों में टेनिक एसिड, ग्लूकोसाइड और मिथाइल सैलिसाइलेट जैसे तत्‍व और एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं इसलिए तमाम बीमारियों के इलाज में इसका इस्‍तेमाल किया जाता है. आज World Arthritis Day 2022 के मौके पर आपको बताते हैं आर्थराइटिस के मरीजों के लिए किस तरह फायदेमंद है ये.

पारिजात के फायदे

नेचुरोपैथी एक्‍सपर्ट डॉ. रमाकांत शर्मा के अनुसार आथराइटिस, जिसे आम भाषा में लोग गठिया कहते हैं, जैसी बीमारी के इलाज के रूप में पारिजात के पत्‍तों, फूल और छाल का इस्‍तेमाल किया जाता है. ये काढ़ा पुराने ग‍ठिया की बीमारी में भी काफी लाभकारी होता है. इसके अलावा सा‍इटिका में भी काफी फायदेमंद साबित होता है क्योंकि ये बंद रक्त की नाड़ियों को खोल देता है. सर्दी-खांसी और पेट के कीड़े मारने आदि तमाम समस्‍याओं में भी इसका इस्‍तेमाल किया जाता है. 

ऐसे करें इस्‍तेमाल

आर्थराइटिस के लिए पारिजात के पत्ते, छाल और फूल तीनों को एक साथ लें. तीनों की मात्रा 5 ग्राम के आसपास होनी चाहिए. इसमें चार कप भरकर पानी डाल दें. इसे गैस पर धीमी आंच पर पकाएं. जब ये उबलकर एक कप रह जाए, तब इसे छान लें और गुनगुना रहने पर पीएं. ये काढ़ा साइटिका के मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद है.

अगर सर्दी या खांसी की समस्‍या है तो इसके पत्‍तों को धोकर उसे पीसें और उसका रस निकालें. इसमें शहर मिक्‍स करें और दिन में दो बार इसका सेवन करें. इसके अलावा आप इसके पत्‍तों को धोकर पानी में उबालें, इसके साथ तुलसी भी मिक्‍स कर दें. पानी आधा रहने पर छान लें और इसे शहद डालकर पीएं.

ध्‍यान रहे

डॉ. रमाकांत का कहना है कि ये तरीके सामान्‍य परेशानियों में काम आ सकते हैं, लेकिन अगर आपको समस्‍या ज्‍यादा है या किसी अन्‍य बीमारी से भी ग्रसित हैं, तो आपको आयुर्वेद या नेचुरोपैथी विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए. किस रोग में किस चीज की कितनी मात्रा लेने की जरूरत है, ये आपकी स्थिति देखने के बाद विशेषज्ञ ही बता सकते हैं इसलिए कभी भी कोई इलाज स्‍वयं शुरू न करें. इसके अलावा आयुर्वेदिक औषधि के साथ परहेज की बहुत जरूरत होती है. ऐसे में अगर आप ये इलाज करते हैं तो विशेषज्ञ के सभी निर्देशों का पालन करें.