हिंदू धर्म में ऐसी तमाम मान्‍यताएं हैं, जिन्‍हें सालों से फॉलो तो किया जा रहा है, लेकिन उनके पीछे छिपी वा‍स्‍तविक वजह को लोग नहीं जानते हैं. ऐसी ही एक मान्‍यता है थाली में एक साथ तीन रोटियां न रखने की. जब भी किसी को खाना परोसा जाता है तो उसकी थाली में एक या दो रोटियां रखी जाती हैं, तीन नहीं. अगर किसी कारण से तीन रोटियां रखनी भी पड़ें तो उसे आधा-आधा करके रखा जाता है, ताकि उनकी गिनती तीन में न हो. ऐसा ज्‍यादातर घरों में वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन ऐसा क्‍यों किया जाता है, ये ज्‍यादातर लोग नहीं जानते. आइए आपको बताते हैं कि थाली में तीन रोटियां एक साथ रखना क्‍यों अशुभ माना जाता है.

पहले जानिए धार्मिक कारण

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इस मामले में ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि खाने की थाली में तीन रोटियां रखना मृत्‍यु के भोज के समान माना गया है. इसलिए इसे अशुभ माना जाता है. दरअसल जब भी किसी की मृत्‍यु होती है, तो मृतक की तेरहवीं से पहले उसके नाम से जो थाली परोसी जाती है, उसमें तीन रोटियां होती हैं. इसलिए किसी जीवित व्‍यक्ति को एक साथ तीन रोटियां परोसना अशुभ माना गया है. 

इसके अलावा तीन अंक को पूजा पाठ आदि के लिहाज से भी शुभ नहीं माना जाता है. किसी भी शुभ काम के दौरान पांच, सात, नौ, ग्‍यारह, इक्‍कीस, इक्‍यावन आदि की गिनती में चीजें इस्‍तेमाल की जाती हैं, तीन की संख्‍या में नहीं.

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वैज्ञानिक वजह भी समझें

थाली में एक साथ तीन रोटियां न रखने की मान्‍यता के पीछे के वैज्ञानिक तथ्‍य को समझना भी जरूरी है. आमतौर पर अगर आप फिटनेस के लिए किसी भी एक्‍सपर्ट से बात करें, तो वो आपको दिनभर में थोड़ा-थोड़ा करके खाने की सलाह देता है. ऐसे में एक सामान्‍य व्‍यक्ति जब हर दो-दो घंटे के अंतराल पर कुछ न कुछ हेल्‍दी खाता रहता है,  तो शरीर को एनर्जी मिलती रहती है. ऐसे में उसके लिए थाली में एक बार में एक कटोरी दाल, सब्‍जी, थोड़ा चावल और दो रोटियां पर्याप्‍त होती हैं. जबकि तीन रोटियां जरूरत से ज्‍यादा हो जाती हैं. ओवर डाइट से सेहत पर बु‍रा असर पड़ सकता है.