भारत के कई इलाको में ब्रेड को डबल रोटी के नाम से जाना जाता है खासकर  छोटे गांवो और कस्बों में, ऐसे में कहीं न कहीं ये सवाल तो मन में जरूर आता है कि ब्रेड बोलने की बजाय लोग इसे डबल रोटी क्यों कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि भारत में ब्रेड पुर्तगाली लेकर आए थे, उस समय ब्रेड को स्लाइस के रूप में काटा नहीं जाता था बल्कि चौकोर आकार में ही बेचा जाता था. चलिए जान लेते हैं ब्रेड को डबल रोटी कहने के पीछे क्या कहानी है. 

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इसलिए कहते हैं डबल रोटी 

ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेज भारत में सैंडविच लेकर आए थे जिसे लोगों ने ‘डबल रोटी’ कहना शुरू कर दिया था क्योंकि तब ब्रेड में दो स्लाइस हुआ करते थे. 

पुर्तगालियों से कनेक्शन समझिए 

माना जाता है कि 3000 ईसा वर्ष पूर्व मिस्र में डबल रोटी की शुरुआत कि गई थी और उस समय मिस्र के मकबरों में डबलरोटी बनाने के नमूने मिला करते थे.बता दें कि ब्रेड भारत में निर्मित नहीं है, क्योंकि भारतीय ब्रेड मूल रूप से चपटी होती है, जिसमें अधिकतर चपाती, रोटी, पराठा, नान या पूरी शामिल होते हैं.

ऐसे तैयार होती है डबल रोटी

डबल रोटी को बनाने का हर देश का अपना अलग तरीका है, कहीं नमक मिले आटे या मैदा से, तो कहीं आलू, मटर, चावल या जौ का आटा मिलाकर इसे टेस्टी बनाया जाता है. बता दें कि डबलरोटी के आटे में मिला खमीर पकाए जाने पर गैस बनाता है, जो बुलबुले के रूप में फटकर बाहर निकलती है और इसकी वजह से डबलरोटी में सुराख हो जाते हैं. 

इन जगहों का है मेन फूड 

मध्य पूर्व, मध्य एशिया, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका में मुख्य रूप से ब्रेड का सेवन किया जाता है. बता दें कि ब्रेड को आमतौर पर गेहूं के आटे से बनाया जाता है जिसमे खमीर को पहले उठाया जाता है और फिर उसे ओवन में बेक किया जाता है. 

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