कोई भी रिश्ता माता-पिता और उनके बच्चे के बीच के रिश्ते से बढ़कर नहीं है. एक बच्चे का स्वास्थ्य विकास उसके माता-पिता पर निर्भर करता है, खासकर मां पर. क्योंकि मां ही बच्चे का समग्र रूप से पालन पोषण करती है. ऐसे में यदि पेरेंट्स शारीरिक और मासिक रूप से स्वस्थ होंगे, तभी बच्चे का समग्र विकास संभव है. लेकिन कई बार ऐसा देखा जाता है कि बच्चे के पेरेंट्स (माता या पिता) मानसिक बीमारियों से पीड़ित होते हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या इसका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है? जानें क्या कहती है स्टडी.

बच्चों को 8x ज्यादा खतरा

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कई स्टडीज़ की एक नई समीक्षा से पता चलता है कि मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के बच्चों में समान और विभिन्न विकारों से पीड़ित होने का खतरा अधिक होता है. रिसर्चर्स का अनुमान है कि चिंता, या डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के औसतन दो में से एक बच्चा अपने माता-पिता की स्थिति या किसी अन्य मानसिक बीमारी से पीड़ित होगा. नशे की लत वाले माता-पिता के एक तिहाई से अधिक बच्चों और मनोविकृति से पीड़ित छह में से एक बच्चे को भी मानसिक विकार होगा. यदि माता-पिता को मानसिक बीमारी है, तो उनकी संतानों के इससे पीड़ित होने की संभावना आठ गुना अधिक है. 

कैसे ठीक करें?

चिंता के मामले में, जोखिम दो गुना बढ़ जाता है. संयुक्त जोखिमों को देखते समय, मनोविकृति (psychosis) वाले माता-पिता के बच्चों में एक ही बीमारी से पीड़ित होने का जोखिम 5.8 गुना और किसी अन्य बीमारी से पीड़ित होने का जोखिम 2.6 गुना होता है. धूम्रपान या खराब चयापचय स्वास्थ्य और मोटापा, जिसे व्यायाम और उचित पोषण द्वारा रोका जा सकता है. कुछ कारक जैसे दर्दनाक घटनाओं का जोखिम या अत्यधिक गरीबी या सामाजिक अलगाव भी विकारों की शुरुआत में योगदान करते हैं.