ब्रेस्ट कैंसर टेस्ट के लिए ‘सवेरा' प्रोग्राम की शुरुआत, समय पर पहचान होने पर 95 प्रतिशत तक इलाज होगा सफल
मेदांता ग्रुप की यूनिट मेदांता फाउंडेशन ने हेल्थकेयर और समाज में सुधार लाने के लिए सवेरा नामक अभियान शुरू किया है. इस पहल में 'टेक्टाईल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन' (टी.बी.ई.) से ब्रेस्ट कैंसर टेस्ट में मदद मिलेगी.
Savera Program: मेदांता ग्रुप की यूनिट मेदांता फाउंडेशन ने हेल्थकेयर और समाज में सुधार लाने के लिए सवेरा नामक अभियान शुरू किया है. इस पहल में 'टेक्टाईल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन' (टी.बी.ई.) से ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) टेस्ट में मदद मिलेगी. मेदांता गुरुग्राम की डॉक्टर कंचन कौर (सीनियर डायरेक्टर, ब्रेस्ट सर्विसेज, कैंसर इंस्टीट्यूट) द्वारा शुरू की गई टी.बी.ई. (T.B.E) ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए एक अभिनव प्रणाली है, जिसमें दृष्टिबाधित महिलाओं की अत्यधिक विकसित स्पर्श इंद्रियों की मदद से ब्रेस्ट में होने वाली छोटी से छोटी विकृति को भी भांप लिया जाता है.
संस्थान में आने वाली हर महिला का किया जाएगा टेस्ट इस अभियान के बारे में डॉक्टर कौर ने कहा, ‘वर्तमान में मेडिकल टैक्टाईल एग्ज़ामिनर (एम.टी.ई.) के रूप में नियुक्त की गई 4 महिलाओं में से 3 सरकारी मेडिकल संस्थान में बैठेंगी. आने वाले समय में इन एग्ज़ामिनर्स की संख्या बढ़ाकर उन्हें और ज्यादा जिलों तक पहुंचाया जाएगा. टी.बी.ई न केवल उन महिलाओं का किया जाएगा जो कैंसर का टेस्ट कराने के लिए आएंगी, बल्कि उन महिलाओं का भी किया जाएगा जो यहां अन्य परामर्श लेने के लिए आएंगी. तुरंत पहचान होने पर समय पर हो पाएगा इलाज टेस्ट के प्रति इस सक्रिय दृष्टिकोण द्वारा ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) की तुरंत पहचान और समय पर इलाज संभव हो सकेगा. यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि यदि ब्रेस्ट कैंसर की पहचान समय पर हो जाए, तो उसका इलाज सफल होने की संभावना 95 प्रतिशत होती है. इसलिए ब्रेस्ट कैंसर की पहचान सक्रियता से समय पर करना बहुत जरूरी है. टी.बी.ई. ब्रेस्ट कैंसर की समय पर पहचान करने के लिए बहुत अच्छा उपाय है. हमने इस अभियान का नाम सवेरा रखा है क्योंकि हम इसे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागृति का प्रतीक बनाना चाहते है. अवेयरनेस के लिए अपनाए जा रहे कई तरीके मेदांता के ग्रुप सी.ई.ओ एवं डायरेक्टर, श्री पंकज साहनी ने कहा, ‘‘ब्रेस्ट कैंसर के अधिकतर मामले विकसित चरण में सामने आते है. इसकी बढ़ती संख्या के कारण समय पर पहचान, निदान और इलाज अत्यधिक आवश्यक है. हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने मरीजों को खुद के स्वास्थ्य की देखभाल करने में समर्थ बनाएं. इसके लिए हम मेदांता में निरंतर नए तरीके अपनाते हैं. सवेरा अभियान इसी दिशा में उठाया गया कदम है.भारत में छह साल पहले टी.बी.ई. पद्धति शुरू होने के बाद दृष्टिबाधित महिलाओं को एन.ए.बी. इंडिया सेंटर फॉर ब्लाइंड वीमेन एंड डिसेबिलिटी स्टडी में ब्रेस्ट रोगों और उनके परीक्षण का सैद्धांतिक प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद उन्हें मेदांता गुरुग्राम के ब्रेस्ट क्लिनिक में डॉ. कंचन कौर के मार्गदर्शन में तीन महीने तक क्लिनिकल इंटर्नशिप प्रदान की गई.