Reels Addiction: सोशल मीडिया पर घंटों बैठकर रील्स देखना आजकल एक बड़ी मुसीबत बन गई है. 5 मिनट के लिए फोन उठाना कब घंटों तक स्क्रॉल में बदल जाता है, पता ही नहीं चलता है. क्या आप भी अपनी मोबाइल की स्क्रीन में वीडियो पर वीडियो और रील्स पर रील्स देखकर थक चुके हैं लेकिन आदत से मजबूर हैं. तो आपको अपनी इस आदत को भी बदलने की जरूरत है. साइंस की दुनिया में इसे एक बीमारी को एक नाम भी दिया जा चुका है.  हावर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के मुताबिक रील्स देखते रहने और बनाते रहने वाली दुनिया मास साइकोजेनिक इलनेस यानी MPI की मरीज हो सकती है.  

क्या होती है Mass psychogenic illness?

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हावर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च के मुताबिक जरुरत से ज्यादा वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मस पर रहने वाले लोगों में (Mass psychogenic illness) मास साइकोजेनिक इलनेस के लक्षण नज़र आते हैं. ऐसे लोग अक्सर दूसरों के सामने बातचीत करते वक्त टांगे हिलाते रहते हैं. ये एक तरह का हाइपर एक्टिव रेस्पांस है. और ये इस बीमारी का पहला लक्षण हैं.  

फोकस की होती है कमी

दूसरी परेशानी आती है ADHD – आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर लोग किसी वीडियो को लंबे समय तक नहीं देख पाते हैं और दो से तीन मिनट में एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे और चौथे वीडियो पर चले जाते हैं. लगातार ऐसा करते रहने से इंसान का दिमाग किसी भी चीज़ पर अटेंशन के साथ फोकस ना करने ही आदी हो जाता है और बेचैन रहता है.  

हो जाती हैं ये बीमारियां

इसके अलावा सोशल मीडिया पर दूसरों के ज्यादा फॉलोअर अपनी पोस्ट पर कम कमेंट्स और लाइक्स ऐसे लोगों को असल दुनिया से दूर कर देते हैं. ऐसे लोग डिप्रेशन के शिकार होते भी देखे गए हैं.  

इसके साथ ही ऐसे लोगों में कई दूसरी बीमारियां भी देखने को मिली है, जिसमें नींद की कमी, सिर दर्द, माइग्रेन आदि. ये बहुत आम बात है कि 6-7 इंच की स्क्रीन में तेज़ लाइट में ज्यादा देर तक रहने से लोगों में सिर दर्द और थकान बढ़ रहा है. माइग्रेन के मरीजों को तो डॉक्टर रोशनी से दूर रहने की सलाह देते हैं. मोबाइल की रोशनी भी उसमें शामिल है.  

गर्दन में दर्द की समस्या

वहीं, इसके अलावा लगातार झुककर मोबाइल की स्क्रीन में देखते रहने से गर्दन और कमर का दर्द बढ़ जाता है. सोशल मीडिया इसके लिए सबसे ज्यादा ज़िम्मेदार है.  

न्यूयॉर्क स्पाइन एंड रीहैब सेंटर बताती है कि आपकी गर्दन जितनी ज्यादा झुकती जाती है, उस पर उतना ही बोझ पड़ता है और लगातार पड़ रहा बोझ रीढ़ की हड्डी की बनावट को परमानेंट तौर पर बदल सकता है यानी बिगाड़ सकता है.  

किस डिग्री पर कितना बोझ पड़ता है: 

0 डिग्री पर गर्दन झुकी हो तो रीढ़ की हड्डी को 5 किलो के बराबर वज़न का अहसास होता है. वहीं, 15 डिग्री पर 12 किलो, 30 डिग्री पर 18 किलो, 45 डिग्री पर 22 किलो और 60 डिग्री पर 27 किलो वज़न के बराबर बोझ रीढ़ की हड्डी पर पड़ सकता है.  

वीडियो देखने में इतना समय क्यों बिता रहे हैं लोग? 

गुजरात के अहमदाबाद की इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी में पिछले वर्ष रील्स देखने की आदतों पर एक रिसर्च की गई. इस सर्वे में 540 लोगों को शामिल किया गया. जिनकी उम्र 18 से 36 साल के बीच थी. रिसर्च का मकसद ये जानना था कि लोग वीडियो पर इतना समय आखिर क्यों लगा रहे हैं. 

इस रिसर्च के मुताबिक 85 फीसदी लोग सिर्फ मनोरंजन के लिए रील्स देखते हैं. वहीं, 92 फीसदी लोगों में सोशल मीडिया से उपलब्धि की भावना आती है. सोशल मीडिया पर मिलने वाली लाइक्स, कमेंट्स और शेयर को वो उपलब्धि के तौर पर लेते हैं. 88 फीसदी लोग सिर्फ ट्रेंड्स से जुड़े रहने के लिए सोशल मीडिया पर वक्त बिताते हैं और 87 फीसदी लोग सिर्फ अपनी एक्टिविटी को दर्ज करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, ताकि उनकी तस्वीरें सुरक्षित रहें.

इसके अलावा 87 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी जिम्मेदारियों या परेशानियों से भागने के लिए इसे Escape के तौर पर लेते हैं, ऐसे लोगों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हैं. 83 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो कुछ नया करने या देखने की चाहत में Reels का इस्तेमाल करते हैं. 79 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जो खुद कोई पोस्ट नहीं करते हैं, बल्कि दूसरों की लाइफ के बारे में जानने के मकसद से सोशल मीडिया पर हैं. 

ऐसे लोग जो जरुरत से ज्यादा समय सोशल मीडिया में ही व्यस्त हैं ,उन्हें इस रिसर्च में Narcissist की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे लोग जिन्हें लगता है कि पूरी दुनिया उन्हीं से प्रभावित है और उनकी तारीफ करती है. आसान भाषा में आप ऐसे लोगों को self-obsessed यानी खुद पर ही मोहित कह सकते हैं. केवल Instagram पर ऐसे लोगों की संख्या 40% है. 

कैसे दूर करें रील्स देखने की बीमारी

सोशल मीडिया की आदत पर लगाम लगाने के लिए आप सोशल मीडिया साइट्स पर रिमाइंडर या डेटा लिमिट सेट कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी इच्छा शक्ति का ही इस्तेमाल करना होगा. हालांकि, इसके अलावा भी कई सारे उपाय हैं, जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि

  • बिना काम की एप्स के नोटिफिकेशन्स को बंद करें.  
  • सोशल मीडिया के लिए दिन के सबसे खाली समय को तय कर लें.  
  • कोई नया शौक या हॉबी शुरू करें.
  • डिनर और लंच के समय फोन का इस्तेमाल बंद कर दें.  
  • दोस्तों और करीबियों से फेसटाइम या फेसबुक पर नहीं बल्कि फेस टू फेस मिलें. 

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