Raw Fish Gall Bladder Consumption can Cause Death: कई लोगों को कच्चा मांस या मछली खाने का शौक होता है, अगर आप भी इस लिस्ट में शामिल हैं तो फौरन अपनी आदत बदल डालिए. क्योंकि आपका ये शौक आपकी जान ले सकता है. तो चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला... हकीम ने दी थी कच्ची मछली खाने की सलाह रांची की रहने वाली 48 वर्षीय सेता देवी को उल्टी और गंभीर गुर्दे की बीमारी होने पर सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया. पूछताछ करने पर, यह पता चला कि उसने एक स्थानीय नीम हकीम की सलाह पर अपने मधुमेह की बीमारी को ठीक करने के लिए 3 दिनों तक  "रोहू" (लेबियो रोहिता) मछली के कच्चे पित्ताशय (raw gallbladder) को खाया था. ये खाने के कुछ ही देर बाद, उसे गंभीर उल्टी होने लगी. उसकी बिगड़ती हालत को देखते हुए, उसके परिजन उसे सर गंगा राम अस्पताल लेकर गए.

वहां उसे नेफ्रोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया, जहां उसे हेमोडायलिसिस के 2 sessions हुए. इस दौरान पता चला कि उसे किडनी की बायोप्सी से गंभीर सूजन हो गया है. इसके बाद  मरीज को स्टेरॉयड देने शुरू किये गये. 7 दिन के इलाज के बाद उसकी किडनी ठीक होने लगी और उसके 2 सप्ताह के बाद उसे सामान्य किडनी फंक्शन के साथ छुट्टी दे दी गई. कई क्षेत्रों में खाया जाता है कच्चा मांस कच्ची मछली के पित्ताशय (Gallbladder) का कच्चा सेवन भारत सहित एशिया के कुछ क्षेत्रों, विशेष रूप से पूर्वी और दक्षिणी भारत में एक आम बात है. यह पारंपरिक रूप से diabetes, ब्रोन्कियल अस्थमा, गठिया और भैंगेपन को ठीक करने के लिए माना जाता है. शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है कच्ची मछली डॉ.  ए.के. भल्ला, चेयरमैन, डिपार्टमेंट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, हमेशी कच्ची मछली न खाने की सलाह दी जाती है. इस तरह की रोहू मछली अपने पाचन तंत्र में उच्च स्तर के पित्त का उत्पादन करती हैं, जो बड़ी मात्रा में खाने पर मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकता है.   जानें क्या है डॉक्टर की सलाह पित्त में साइप्रिनॉल नाम का जहर या एसिड होता है, जो मनुष्यों में गुर्दे को नुकसान कर सकता है. डॉ. वैभव तिवारी, कंसलटेंट, डिपार्टमेंट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी,  सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, उन मछलियों का सेवन न करें जिनमें पित्त का उच्च स्तर होता है. हमेशा अच्छी तरह से पकाई हुई मछली ही खाएं.