Cancer Disease: कैंसर एक जानलेवा बीमारी है जिसका नाम सुनकर भी दिल कांप जाता है. ज्‍यादातर मामलों में देखा जाता है कि इस बीमारी का पता काफी देर से चलता है और तब तक मरीज की जान पर बन आती है. दुनियाभर में हर साल कैंसर की वजह से लाखों लोगों की मौत हो जाती है. ये जानलेवा बीमारी वैसे तो तमाम कारणों के चलते हो सकती है, लेकिन कई बार इसकी वजह हमारा गलत खानपान और खराब आदतें भी होती हैं. भारत में कैंसर जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरुक करने के मकसद से हर साल 7 नवंबर को National Cancer Awareness Day सेलिब्रेट किया जाता है. इस मौके पर आज हम आपको बताते हैं खानपान की उन आदतों के बारे में जो आपको कैंसर की ओर धकेल सकती हैं.

सोडा ड्रिंक

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सोडा ड्रिंक आजकल यूथ की पसंद है. कई बार तो लोगपानी की जगह भी सोडा लेना पसंद करते हैं. तमाम लोग खाने के साथ सोडा भी लेते हैं. लेकिन कुछ शोध बताते हैं कि डार्क कलर के सोडे में 4-मेल (4-Mel) होता है, जिसे कैंसर का तत्‍व माना जाता है. ऐसे में अगर आप सोडा को अधिकतर पीना पसंद करते हैं, तो ये आपके लिए मुश्किल बढ़ा सकता है और कैंसर का रिस्‍क पैदा कर सकता है.

शराब

एक समय था जब शराब जैसी चीजों को लोग हाथ लगाना भी पसंद नहीं करते थे, लेकिन आज के समय में ये बहुत कॉमन हो चुकी है. ऐसे तमाम रिसर्च हैं जो ये बताती हैं कि जरूरत से ज्‍यादा शराब का सेवन कैंसर की बड़ी वजह बन सकता है. वैसे तो शराब से पूरी तरह से ही परहेज करना चाहिए, लेकिन फिर भी अगर आप कभी खास मौकों पर इसे लेना पसंद करते हैं, तो CDC की सलाह है कि महिलाओं को एक दिन में एक ड्रिंक और पुरुषों को दो ड्रिंक से ज्‍यादा नहीं लेना चाहिए.

सिगरेट 

तंबाकू को भी कैंसर की बड़ी वजह माना जाता है. सिगरेट, बीड़ी, गुटखा और हुक्का भी तंबाकू का ही एक प्रकार है. बस इनके जरिए तंबाकू के सेवन का तरीका बदल जाता है. ज्‍यादातर लोगों को लगता है कि तंबाकू के कारण मुंह का कैंसर हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर तंबाकू को गुटखा या पान मसाले के तौर पर चबाकर खाते हैं तो मुंह और गले का कैंसर होने का रिस्‍क बढ़ता है. लेकिन अगर तंबाकू को सिगरेट, हुक्का या बीड़ी के जरिए लेते हैं तो फेफड़ों का कैंसर हो सकता है. इसके अलावा हार्ट की समस्या और गैंगरीन जैसी गंभीर बीमारी का रिस्‍क भी बढ़ता है.

ये भी हैं कैंसर की वजह

इन सबके अलावा अत्‍यधिक मोटापा, रेडिएशन या धूप के संपर्क में ज्‍यादा रहना, फैमिली हिस्‍ट्री, क्रॉनिक डिजीज, पैसिव स्‍मोकिंग, जेनेटिक म्यूटेशन, हॉर्मोन्स, इम्यून से जुड़ी स्थितियां, ओवर एक्टिवेशन आदि कारणों से भी कैंसर की बीमारी का जोखिम काफी बढ़ जाता है.