Narak Chaturdashi पर घर के बुजुर्ग से कराएं ये महाउपाय, परिवार से टल जाएगा अकाल मृत्यु का खतरा
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा होती है और शाम के समय यमराज की पूजा की जाती है. घर के दरवाजे पर यम दीपक जलाया जाता है. मान्यता है इस दीपक को जलाने से अकाल मृत्यु का खतरा परिवार के ऊपर से टल जाता है.
नरक चतुर्दशी का त्योहार धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था. चतुर्दशी तिथि पर नरकासुर का वध होने के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा होती है और शाम के समय यमराज की पूजा की जाती है. घर के दरवाजे पर यम दीपक जलाया जाता है. मान्यता है इस दीपक को जलाने से अकाल मृत्यु का खतरा परिवार के ऊपर से टल जाता है. जानिए इसकी वजह और जीवन के हर खतरे को टालने वाले इस महाउपाय को करने का तरीका.
घर का बुजुर्ग करे ये उपाय
नरक चतुर्दशी के दिन यम दीप जलाया जाता है और इसे घर के मुख्यद्वार पर रखा जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र इस बारे में कहते हैं कि यम दीपक को परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला को जलाना चाहिए. इससे उसके सभी बच्चे और परिवारीजन अकाल मृत्यु के संकट से मुक्त हो जाते हैं. यम दीप के अलावा भी एक चौमुखी दीपक घर के बुजुर्ग को इस दिन जलाना चाहिए और इसे जलाने के बाद घर के हर कोने में घुमाना चाहिए. इसके बाद प्रभु से परिवार की हर बला हर संकट टालने की प्रार्थना करें और इस दीपक को घर से कहीं दूर स्थान पर जाकर रख आएं. इस महाउपाय से अकाल मृत्यु ही नहीं, परिवार पर आया हर तरह का संकट टलता है.
क्यों जलाया जाता है यम दीप
नरक चतुर्दशी के दिन यम दीप जलाने से पहले ये जानना भी जरूरी है कि आखिर ये क्यों जलाया जाता है? ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि इसको लेकर एक पौराणिक कथा है. कथा के अनुसार एक बार यमराज ने अपने यमदूतों से पूछा कि क्या कभी किसी के प्राण हरते हुए तुम्हें दया आयी है? मुझे सच-सच बताना. इस पर यमदूतों ने कहा कि राजा हिमा के पुत्र के लिए ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि वो अपनी शादी के चौथे दिन ही मर जाएगा. पुत्र की सुरक्षा के लिए राजा ने उसे यमुना के तट पर एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रहने के लिए भेज दिया ताकि कोई स्त्री उसके आसपास भी न भटक सके. लेकिन एक बार एक दिन राजा हंस की युवा पुत्री यमुना के तट पर पहुंच गई. राजा हिमा का पुत्र उस पर मोहित हो गया और उससे गंधर्भ विवाह कर दिया.
लेकिन जब चौथे दिन उसकी मौत हुई, तो राजकुमार की पत्नी का विलाप देखकर हम भी कांप गए थे. इतनी सुंदर जोड़ी हमने आज तक नहीं देखी थी. तब यमदूतों ने यमराज से कहा कि महाराज क्या ऐसा कोई उपाय है कि लोग खुद को अकाल मृत्यु से बचा सकें. इस पर यमराज ने कहा कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को जो भी हमारा विधिवत पूजन करेगा और घर के मुख्यद्वार पर दीपक जलाएगा, उसके घर में सभी सदस्य अकाल मृत्यु से सुरक्षित रहेंगे. तब से हर साल नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से यम दीप दरवाजे के बाहर जलाया जाता है.
यमदीप जलाने का तरीका
नरक चौदस के दिन गोधूलि बेला में इस दीपक को घर की बुजुर्ग महिला जलाना चाहिए. दीपक के जलने के बाद आस पास किसी को नहीं जाने देना चाहिए. दीपक जलाने के बाद घर के बच्चों या बीमार लोगों की कुशलता और आयु के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और जब तक दीपक विदा न हो, तब तक वहीं बैठना चाहिए. दीपक विदा होने के बाद इसे उठाकर घर के अंदर लाकर रख लें.