Medical Gaslighting: डिप्रेशन की खतरनाक स्थिति तक पहुंचा सकती है गैसलाइटिंग, क्या आप जानते हैं इसके बारे में?
ज्यादातर लोग गैसलाइटिंग के बारे में नहीं जानते हैं. शायद ये शब्द भी उन्होंने न सुना हो जबकि इससे हम में से कई लोग गुजरे होंगे या गुजर रहे होंगे. यहां जानिए इसके बारे में.
गैसलाइटिंग (Gaslighting) सामान्य रूप से बहुत कम इस्तेमाल होने वाला शब्द है, इसलिए ज्यादातर लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं. जबकि इससे हम में से कई लोग गुजरे होंगे या गुजर रहे होंगे. गैसलाइटिंग जानबूझकर किसी व्यक्ति पर अपना नियंत्रण बनाने के लिए की जाती है. इस स्थिति में गैसलाइटिंग से प्रभावित व्यक्ति का आत्मविश्वास हिल जाता है. ऐसे में व्यक्ति खुद की हर बात, सोच और विचार पर संदेह करने लगता है और दूसरों पर निर्भर हो जाता है. लेकिन जब यही काम मेडिकल क्षेत्र में कोई डॉक्टर अपने मरीज के साथ करता है, उसकी पूरी बात सुने बिना ही सलाह दे डालता है, मरीज को भ्रमित कर देता है, तब डॉक्टर के इस बर्ताव को मेडिकल गैसलाइटिंग कहा जाता है. मेडिकल गैसलाइटिंग की स्थिति कई बार मरीज को डिप्रेशन की खतरनाक स्थिति तक भी पहुंचा देती है. आइए बताते हैं इसके बारे में.
आसान शब्दों में समझिए मेडिकल गैसलाइटिंग
मेडिकल गैसलाइटिंग एक तरह से डॉक्टर द्वारा मरीज के साथ किया गया दुर्व्यवहार है, जिसके कारण मरीज के अंदर खुद को लेकर तमाम शंकाएं जन्म ले लेती हैं. उदाहरण से समझिए- कई बार हमें लगता है कि हम अंदर से काफी बीमार हैं, लेकिन जब डॉक्टर को हम अपनी स्थिति बताते हैं, तो डॉक्टर आपकी समस्या को या तो ध्यान से सुनते नहीं, या फिर इसे मानसिक फितूर कहकर टाल देते हैं. चूंकि डॉक्टर मेडिकल क्षेत्र का जानकार है, इसलिए उसकी बातों को हम सही मानते हैं और खुद के साथ जो समस्याएं हो रही होती हैं, उन्हें भ्रम या दिमागी फितूर मान बैठते हैं. इस स्थिति को मेडिकल गैस लाइटिंग कहा जाता है.
एक प्ले के जरिए सामने आया था ये शब्द
गैसलाइट शब्द इंग्लिश नोवल और प्ले राइटर पैट्रिक हैमिल्टन के प्ले में सामने आया था. उस प्ले में एक पति अपनी पत्नी को ये अहसास करवाता था कि उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है और पत्नी का कॉन्फिडेंस पूरी तरह से हिल गया था और वो भी खुद को मानसिक रूप से बीमार मानने लगी थी. गैसलाइटिंग व्यक्ति के कॉन्फिडेंस को कम करता है और काबिलियत पर भ्रम करने पर मजबूर कर देता है. उसे लगता है कि उसकी मेमोरी कमजोर होने लगी है और वो खुद की फीलिंग्स और सेंसेज को भी गलत मानने लगता है. इसका असर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी पड़ता है.
कहीं भी किसी के साथ हो सकती है गैसलाइटिंग
गैसलाइटिंग मेडिकल क्षेत्र के अलावा भी तमाम क्षेत्रों में हो सकती है, आपसी संबन्धों में हो सकती है. कोई भी इसका शिकार हो सकता है. लेकिन अधिकतर महिलाओं को इसका शिकार बनते देखा जाता है. आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम आंका जाता है और उन्हें बार-बार इस बात का अहसास कराया जाता है.
डॉक्टर का ये व्यवहार मेडिकल गैसलाइटिंग का संकेत
- अगर आप डॉक्टर को अपनी समस्या बताएं और वो आपकी बात ध्यान से न सुनें.
- आधी बात सुनकर ही अपनी सलाह आपको दे दें.
- आपकी बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज करें.
- बीमारी के लक्षणों के लिए आपकी मानसिक स्थिति को जिम्मेदार बताएं.
- स्थिति देखने के बावजूद किसी टेस्ट की सलाह न दें.
मरीज के लिए बढ़ सकता है ये रिस्क
- मरीज तनाव और डिप्रेशन की स्थिति में पहुंच सकते हैं.
- मरीज के रोग की स्थिति गंभीर हो सकती है.
- मरीज की पूरी बात न सुनने से इलाज गलत हो सकता है.
- डॉक्टर की लापरवाही के कारण मरीज की जान भी जा सकती है.
मेडिकल गैसलाइटिंग से कैसे करें बचाव
- आपको जो भी समस्या हो रही है, उसके लक्षणों को डायरी में लिखें, ताकि मन में भ्रम की स्थिति न रहे.
- किस तरह के वातावरण में समस्या होती है, ट्रिगर पॉइंट क्या है, ये सब भी डायरी में लिखें.
- मेडिकल हिस्ट्री, दवाएं और रिपोर्ट्स वगैरह साथ रखें.
- अगर आप डॉक्टर की बात से संतुष्ट नहीं हैं, तो एक बार सेकंड ओपिनियन जरूर लें.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें