समय के साथ-साथ खानपान भी लगातार बदल रहा है. इस बदलाव में ज्यादातर युवाओं की पसंद घर के बाहर का खाना होता जा रहा है. ऑनलाइन फूड डिलीवरी के आने इसमें जैसे पर लग गए हो. इससे पसंद का खाना तो मिल रहा है लेकिन हेल्थ की हालात दिन पर दिन खराब होती जा रही है. कम उम्र के लोग गंभीर बीमारियों के शिकार बनते जा रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि खानपान को सुधारें और अच्छी हेल्दी फूड को डायट में शामिल करें.

बाहर खाने में मैदा के प्रोडक्ट्स पहली पसंद

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बाहर खाने में लोगों की पहली पसंद मैदे के बने ब्रेड, पराठा, पूरी, कुल्चा, नान, पिज्जा, बर्गर, मोमोज समेत बिस्किट होती है. लेकिन क्या आपको पता है कि खानपान में ज्यादा मैदा के इस्तेमाल से आपको गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इस पर हमने भोपाल के नेशनल हॉस्पिटल की पोषण एवं आहार विशेषज्ञ अमिता सिंह से बातचीत की.

ज्यादा मैदा खाने से ब्लड शुगर बढ़ता है

उन्होंने कहा कि मैदा, शरीर में शक्कर से भी ज्यादा ब्लड शुगर को बढ़ाता है. मैदा से बनी चीजों को तैयार करने के लिए उसमें जिस तरह का फैट डाला जाता है, वह शरीर पचा नहीं पाता है. अंत में यही फैट मोटापे की वजह बनता है. मोटापे से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने और कम उम्र के लोगों में डायबटीज जैसी बीमारियों की बड़ी वजह मैदे से बने प्रोडक्ट्स का ज्यादा इस्तेमाल ही है. 

कम उम्र में मोटापे का शिकार

डॉ अमिता सिंह ने बताया, एक रिसर्च में यह भी बात सामने आई है कि किशोरावस्था के मोटापे को कम करना बेहद मुश्किल होता है. दूसरी वजह यह भी है कि लोगों में कसरत करने की आदत कम होती जा रही है, जिससे मशल्स की बनावट पर असर पड़ रहा है. मैदा से बने प्रोडक्ट्स खाने से इम्यून सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है. क्योंकि इनमें किसी भी प्रकार से पोषक तत्व नहीं मिलते, जैसे आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम शामिल है.

अब इसका समाधान क्या है?

डॉ अमिता सिंह ने बताया कि अगर आप बाहर खाने की सोच रहे हैं तो हफ्ते में केवल एक बार ही मैदा से बने प्रोडक्ट करें. मोटे अनाज से बने खाना खाएं. मोटे अनाज या दाल के बने चिला खा सकते हैं.