Chandra Grahan 2022 Complete Information: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण आज 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन लगने जा रहा है. ये साल का आखिरी ग्रहण भी है. इसके बाद कोई भी ग्रहण अब साल 2023 में ही लगेगा. ये दुनिया के तमाम हिस्‍सों के अलावा भारत में भी ज्‍यादातर जगहों पर दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भारत समेत विश्‍व के तमाम हिस्‍सों में दिखाई देगा. भारत में ये ग्रहण चंद्रोदय के समय से दिखाई देगा, इस कारण कहीं ये पूर्ण रूप से और कहीं आंशिक रूप से देखा जा सकेगा. यहां जानिए साल के आखिरी चंद्र ग्रहण से जुड़ी हर वो छोटी-बड़ी बात जो आप जानना चाहते हैं.

चंद्र ग्रहण का समय

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो भारतीय समय के अनुसार अगर दुनिया में चंद्र ग्रहण की शुरुआत 8 नवंबर को दोपहर में 02:39 मिनट पर होगी. लेकिन भारत में ग्रहण चंद्रोदय के समय से दिखाई देगा. भारत में चंद्र ग्रहण की शुरुआत शाम 05:29 को शुरू होगा और शाम को 18:19 बजे तक समाप्‍त हो जाएगा. पूर्वी भारत के कुछ हिस्‍सों में लोग पूर्ण चंद्र ग्रहण के गवाह बनेंगे, वहीं देश के बाकी हिस्सों में लोगों को केवल ग्रहण का आंशिक चरण ही नजर आएगा. 

कितने बजे से लगेगा सूतक

चंद्र ग्रहण भारत के तमाम हिस्‍सों में दिखेगा, ऐसे में सूतक काल भी मान्‍य होगा. चंद्र ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले चंद्र ग्रहण लग जाता है. ऐसे में भारत में सूतक काल की शुरुआत 8 नवंबर की सुबह 8 बजकर 29 मिनट से हो जाएगी. सूतक काल में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. जानिए वो नियम-

  • सूतक लगने के बाद सिलाई कढ़ाई का काम न करें. गर्भवती महिलाएं विशेष ध्यान रखें.
  • गर्भवती महिलाएं सूतक से लेकर ग्रहण समाप्‍त होने तक बाहर न निकलें और अपने पेट पर सूतक लगने से पहले ही गेरू लगा लें.
  • सूतक काल में भोजन से परहेज करें, लिक्विड डाइट ले सकते हैं. गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए ये नियम लागू नहीं होता है.
  • खाना न बनाएं और चाकू, कैंची आदि का प्रयोग करने से परहेज करें
  • घर के मंदिर में पूजा न करें. मानसिक जाप करना शुभ होता है, वो कर सकते हैं.
  • खाने की वस्तु में तुलसी का पत्ता डालें. लेकिन उसे सूतक से पहले ही तोड़ लें. 

भारत में कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण

ज्‍योतिषाचार्य की मानें तो भारत में ये चंद्र ग्रहण अजमेर, अहमदाबाद, अमृतसर, बेंगलुरु, भोपाल, भुवनेश्‍वर, चंडीगढ, देहरादून, दिल्‍ली, गुवाहटी, जयपुर, जम्‍मू, कोल्‍हापुर, कोलकाता और लखनऊ, मदुरै, मुंबई, नागपुर, पटना, रायपुर, राजकोट, रांची, शिमला, सिल्‍चर, उदयपुर, उज्‍जैन, बडौदरा, वाराणसी, प्रयागराज, चेन्‍नई, हरिद्वार, द्वारका, मथुरा, हिसार, बरेली, कानपुर, आगरा, रेवाड़ी, लुधियाना आदि में नजर आएगा. वहीं दुनिया की बात करें तो दक्षिणी/पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक और हिंद महासागर में देखा जा सकेगा. 

कैसे देखें चंद्र ग्रहण? 

नासा के मुताबिक, चंद्र ग्रहण को खुली आंखों से भी देखा जा सकता है. इसे देखने के लिए किसी खास उपकरण की जरूरत नहीं होती. हालांकि, ज्यादा बेहतर तरीके से देखने के लिए दूरबीन का इस्तेमाल किया जा सकता है. ध्यान रहे, अगर आप दूरबीन से इसको देख रहे हैं तो किसी अंधकार वाले इलाके में इसे सेटअप करके देखें. इसके अलावा चंद्र ग्रहण की लाइव स्ट्रिमिंग (Chandra grahan Live Streaming) नासा की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं.

 कितनी तरह का होता है चंद्र ग्रहण

पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)

वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो पृथ्‍वी सूर्य के चक्‍कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्‍वी के चक्‍कर लगाता है. इस बीच ऐसा क्षण आता है जब पृथ्‍वी सूर्य और चंद्रमा एक सीध में होते हैं. पृथ्‍वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है. इसके कारण चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती. इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार पूर्ण चंद्र ग्रहण सबसे प्रभावशाली माना जाता है. इसका सभी राशियों पर अच्छा और बुरा प्रभाव देखने को मिलता है.

आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) 

आंशिक चंद्र ग्रहण के अनुसार जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी पूरी तरह न आकर केवल इसकी छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है. तब इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है.  ये वाला ग्रहण लंबे वक्त के लिए नहीं लगता है. लेकिन ज्‍योतिष के हिसाब से इसमें भी सूतक के सारे नियमों का पालन करना पड़ता है.

उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)

जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है, तो इसे उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है. चांद की रोशनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है और चंद्रमा का रंग मटमैला हो जाता है. इसे वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं माना जाता. सूतक के नियम भी इसमें लागू नहीं होते हैं.

सूतक के दौरान क्‍यों डाला जाता है तुलसी का पत्‍ता

इस मामले में ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि धार्मिक मान्‍यता है कि जिन चीजों में तुलसी का पत्‍ता पड़ जाता है, उन चीजों में किसी भी तरह का नकारात्‍मक प्रभाव नहीं होता. इसकी वजह है कि धार्मिक रूप से तुलसी को दोषों का नाश करने वाला माना गया है, इसलिए जिस चीज में तुलसी का एक भी पत्‍ता मौजूद हो, वो चीज अशुद्ध नहीं हो सकती. इसके अलावा अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो तुलसी के पत्ते में पारा और ऐसे आर्सेनिक गुण मौजूद होते हैं, जो वातावरण में मौजूद नकारात्‍मक किरणों से चीजों को दूषित नहीं होने देते. इसलिए सूतक काल और ग्रहण काल के नकारात्‍मक प्रभाव से बचाने के लिए खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्‍ता डाला जाता है. 

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पूर्णिमा के दिन ही क्‍यों लगता है?

चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही क्‍यों पड़ता है, लेकिन हर पूर्णिमा पर क्‍यों नहीं पड़ता? हर बार पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण न लगने की वजह है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा करीब 5 डिग्री तक झुकी हुई है. इस झुकाव के कारण हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. कई बार पृथ्‍वी के ऊपर या नीचे से निकल जाता है. इस कारण हर पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता. लेकिन जब भी चंद्रमा पृथ्‍वी की छाया में प्रवेश करता है, वो पूर्णिमा का दिन ही होता है. इसकी वजह है कि चंद्र ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्‍वी और चंद्रमा एक सीध में हों और ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव है. इसलिए चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है.