Holi Festival Gulal Gota of Rajasthan: होली का त्योहार दस्तक दे रहा है. इस साल होली का त्योहार आठ मार्च को मनाया जाएगा. इससे पहले बाजार गुजिया, गुलाल, पिचकारी और दूसरे रंगों से सज गया है. होली में इस बार जयपुर के गुलाल गोटा की मांग बेहद बढ़ गई है. प्राकृतिक रंगों से भरे छोटे गोले आकार के गेंदों को गुलाल गोटा कहा जाता है. ये राजस्थान की राजधानी जयपुर में बनाया जाता है. कुछ मुस्लिम परिवार की कई पीढ़ियां इस गुलाल को बना रही है. गुलाल गोटा का इस्तेमाल 400 साल पहले जयपुर के शाही राजघराने ने किया था. 

नहीं होता है हानिकारक 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जयपुर के कलाकारों और गुलाल गोटा बनाने वालों का कहना है कि इस साल गुलाल गोटा की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है. पानी के गुब्बारों और कृत्रिम रंगों की तुलना में गुलाल गोटा हानिकारिक नहीं होता है. पीटीआई से बातचीत में गुलाल बनाने वाले अवाज मोहम्मद ने कहा कि इस बार काफी ज्यादा डिमांड बढ़ने के कारण होली से दो महीने पहले से ही कारिगरों ने इसे बनाना शुरू कर दिया है. गुलाल गोटा की खास बात है कि ये बेहद पतले और नाजुक होते हैं. कोई भी इसे अपने हाथ से तोड़ सकता है. पहले राजपरिवार होली के समारोह में गुलाल गोटा को जरूर शामिल करते थे.     

खत्म हो गई थी मांग

पीटीआई से बातचीत में कारिगर परवेज मोहम्मद ने कहा कि 'गुलाल गोटा की मांग कई दूसरे शहरों से भी आ रही है. मंदिर और लोगों के अलावा अब इसका इस्तेमाल इवेंट्स और पार्टी में भी होता है. ये इसकी बढ़ती मांग का कारण हो सकता है. एक वक्त था कि इस मांग बिल्कुल भी खत्म हो गई थी. हम सभी तब काफी ज्यादा निराश हो गए थे. अब ऑर्डर और डिमांड के बढ़ने के बाद परिस्थित ठीक हो गई है. इसके अनोखेपन के कारण लोग इसे काफी ज्यादा पसंद करते हैं. ये पर्यावरण के अनुकूल है और इससे किसी को नुकसान भी नहीं होता है.'

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

राजस्थान की लोक कथाओं के अनुसार जयपुर के राज परिवार के सदस्य अपनी रियासत में घूमते थे और जो पास से गुजरता था उस पर गुलाल गोटा फेंकते थे. गुलाल गोटा का देश के कई मंदिरों खासकर गोविंग देवीजी मंदिर जयपुर और मथुरा, वृंदावन में भी काफी इस्तेमाल होता है.