Heart Attack Risks: अगर आपके पास ये विकल्प हो जानने का कि आपको भविष्य में हार्ट अटैक आ सकता है या नहीं- तो बहुत संभव है कि आप जरूर जानना चाहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. वैसे तो हम चाहेंगे कि आप हमेशा सेहतमंद रहें, लेकिन वो लोग जिन्हें कोई ऐसी बीमारी या परेशानी है जो उन्हें दिल का मरीज बना सकती है, वो जरूर जानना चाहेंगे कि क्या वो पहले से ये जान सकते हैं कि उन्हें हार्ट अटैक का खतरा तो नहीं है- इसका जवाब है- हां, अब ये संभव है और ये भविष्यवाणी पूरी तरह से वैज्ञानिक है. जिस तरह ग्रह-नक्षत्र देखकर आपके आने वाले अच्छे या बुरे समय की भविष्यवाणी की जा सकती है वैसे ही Artificial Intelligence के जरिए आपके दिल के Scans को देखकर ये बताया जा सकता है कि आप कितने खतरे में हैं.

क्या है स्टडी? 

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अमेरिका की Northwestern University के वैज्ञानिकों ने 3 हज़ार लोगों के जेनेटिक रिस्क फैक्टर और सीटी स्कैन की तुलना की. सीटी स्कैन में दिल की धमनियों में मिली रुकावटों यानी blockages से उनमें दिल की बीमारियों के खतरे का आकलन किया गया. सीटी स्कैन के आधार पर मिले नतीजों में ऐसे लोग भी दिल की बीमारी के खतरे पर पाए गए जिनके रिस्क फैक्टर ना के बराबर थे. जैसे कि परिवार में पहले से किसी को दिल की बीमारी हो, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर, स्मोकिंग- ये सब मानक तो ठीक थे, लेकिन स्कैन में नज़र आ रहा था कि उनकी दिल की आर्टरीज़ में कैल्शियम जमा है जिसकी वजह से खून कम पंप हो रहा है. स्टडी में शामिल 3,208 लोगों में से आधे से ज्यादा  रिस्क फैक्टर के आधार पर खतरे से बाहर थे. लेकिन सीटी स्कैन के आधार पर आधे से ज्यादा लोग खतरे में पाए गए. ये स्टडी 17 साल तक चली थी.

AI बना रहा है सेहत की कुंडली

आम इंसान के लिए दिल खूबसूरत लाल होता है, जो अपनों के प्यार के लिए धड़कता है, लेकिन डॉक्टरों के लिए दिल पूरे शरीर को खून सप्लाई करने वाली 4 चेंबर की एक मशीन है. तो वहीं रिसर्चरों के लिए दिल एक ऐसा ठिकाना है जो आपकी सेहत की भविष्यवाणी कर सकता है. आप भविष्य में कितने सेहतमंद रहेंगे, या आपको हार्ट अटैक आने का खतरा कितने प्रतिशत है या आपको कभी हार्ट अटैक आ सकता है या नहीं- ये पता करने के लिए रिसर्चर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की मदद ली है. नतीजों के लिए AI Tool ने MRI स्कैन को आधार बनाया.  आप कह सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अब डॉक्टर आपकी सेहत की कुंडली बना रहे हैं और भविष्यवाणी भी कर रहे हैं. 

दिल का आकार बताएगा कितना खतरा है

हाल ही में कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के scientists ने ऐसी ही एक रिसर्च की जिसमें ये पता लगाया जा रहा है कि किन लोगों को दिल की बीमारी होने का खतरा कितना है. मेयो क्लीनिक की रिसर्च के मुताबिक ऐसे लोग जिनके दिल का आकार गोल यानी round shape का होता है, उन्हें बाकियों के मुकाबले में कार्डियोमायोपेथी (Cardiomayopathy) होने का खतरा 47% ज्यादा होता है. कार्डियोमायोपैथी दिल की मांसपेशियों यानी heart muscles की बीमारी है. इस बीमारी में दिल की मांसपेशियां सूज कर सख्त हो जाती हैं और खून पंप करना मुश्किल हो जाता है- इस वजह से कई लोगों को आगे चलकर हार्ट अटैक आ जाता है. 

इस रिसर्च का सैंपल काफी बड़ा है. रिसर्च के लिए 38,897 लोगों के MRI scans का एनालिसिस किया गया. स्कैन में दिल के बांए चेंबर या मेडिकल भाषा में left ventrical (वेंट्रिकल) के आकार को देखा गया कि वो कितना गोल है. ये चैंबर कोन के आकार का, यानी थोड़ा तिकोना होता है. फिर इन्हीं 38 हज़ार लोगों में ये देखा गया कि कितने लोगों के परिवार में पहले से किसी को दिल की बीमारी है. ऐसे लोगों के जेनेटिक मार्कर कैसे हैं, यानी वो लोग कौन से हैं जिन्हें जेनेटिक कारणों से दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा है. इस विश्लेषण के आधार पर ये नतीजा निकला कि जिन लोगों के दिल का आकार गोल है, ऐसे लोग दिल की बीमारी का शिकार होने के खतरे पर हैं. डॉक्टरों के मुताबिक दिल का आकार कोन जैसा होता है– अगर वो गोल हो रहा है तो इस बात की निशानी है कि दिल पर प्रेशर ज्यादा है और उसकी खून पंप करने की क्षमता कम हो रही है.  

भारत दिल की बीमारी के मामले में पहले नंबर पर

  • आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों में हर 10 में से 4 की उम्र 45 साल से कम है. 
  • 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75% तक बढ़ गई है.  
  • भारत में हर वर्ष तकरीबन 13 से 14 लाख लोग दिल के मरीज हो जाते हैं. इनमें से 8 प्रतिशत लोगों की मौत हार्ट अटैक आने के 30 दिन के अंदर ही हो जाती है –यानी तकरीबन सवा लाख लोग पहले हार्ट अटैक के 30 दिन के अंदर ही जान गंवा बैठते हैं. 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में दिल की बीमारी से  मौतों की सालाना संख्या 47 लाख तक पहुंच गई है, जो 1990 तक करीब 22 लाख के आसपास थी.  

ऐसा AI कहां और कैसे काम आ रहा है?

लेकिन आपको जानकर अच्छा लगेगा कि AI models का प्रयोग भारत में भी हो रहा है. हार्ट अटैक आपके लिए कितना बड़ा खतरा बन सकता है...इसे समझने के लिए दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल के डॉक्टरों ने इंजीनियरस के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. 3 हज़ार 191 दिल के मरीजों पर दो वर्ष की स्टडी के बाद इस मॉडल को तैयार किया गया है. ये पहला ऐसा मॉडल है जो पूरी तरह भारतीय मरीजों के आधार पर बना है. इसमें 31 अलग अलग पैरामीटर्स के आधार पर ये तय किया जाता है कि हार्ट अटैक के मरीज को जान जाने का खतरा कितना है और कितनी संभावना है कि वो लंबे समय तक जी सकता है. 

जैसे-

  • उम्र
  • हार्ट अटैक के वक्त सीने में दर्द हुआ या नहीं
  • कितनी देर में मरीज़ अस्पताल पहुंचा
  • हीमोग्लोबिन का लेवल क्या है- 13 से उपर के लेवल को हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है.   
  • हार्ट की पंपिग का स्तर क्या है (इसे मेडिकल भाषा में Ejection-Fraction कहा जाता है. अगर इसका रिजल्ट 25 से कम है तो खतरा बड़ा है )   
  • डायबिटीज़  
  • हाई ब्लड प्रेशर   
  • एक्सरसाइज़ का स्तर  
  • परिवार में किसी को दिल की बीमारी है या नहीं 

क्या AI के नतीजों पर पूरी तरह भरोसा किया जा सकता है?

विशेषज्ञों की राय में AI वाली मशीनें डॉक्टर को कभी रिप्लेस नहीं कर पाएंगी लेकिन जो डॉक्टर AI की मदद का फायदा नहीं उठाएंगे वो जरूर आने वाले समय में रिप्लेस हो जाएंगे. फिलहाल दिल की बीमारियों के खतरे को नापने के लिए मरीज के रिस्क फैक्टर और कुछ टेस्ट का सहारा लिया जाता है. और आगे भी ऐसा होता रहेगा.

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