हर साल धनतेरस और दीपावली के बीच नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) का पर्व मनाया जाता है. इसे नरक चौदस, छोटी दिवाली और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार नरक चतुर्दशी और दिवाली का पर्व एक ही दिन 24 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा. पहले नरक चौदस की पूजा की जाएगी, इसके बाद दिवाली का लक्ष्‍मी पूजन होगा. नरक चतुदर्शी के दिन घर के बाहर एक चौमुखी दीपक जलाया जाता है. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि ऐसा क्‍यों किया जाता है? आइए आपको बताते हैं.

यमराज का किया जाता है पूजन

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इस मामले में पंडित देवी प्रसाद बताते हैं कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा करने की परंपरा है. इस दिन यमराज की पूजा करने से उस परिवार में रहने वाले सभी सदस्‍यों की लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है. माना जाता है कि इससे अकाल मृत्‍यु का खतरा टलता है और परिवार के सदस्‍यों की आयु बढ़ती है. इस दीपक को घर के मुख्‍य द्वार की चौखट पर रखा जाता है.

ये हैं दीपक जलाने के नियम

नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्‍य द्वार की चौखट पर जलने वाले इस दीपक को यम दीप कहा जाता है. इस दीपक में दो बत्तियां क्रॉस करके इस तरह लगाई जाएं कि उनके मुख चारों दिशाओं में रहें. दीपक को एक तरफ से जलाया जाए और इसे मुख्‍य द्वार की चौखट पर इस तरह से रखा जाए कि जलती हुई बाती दक्षिण दिशा की ओर रहे. दक्षिण दिशा में यमराज और सभी पूर्वजों का निवास माना गया है. इसलिए दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाकर यमराज को समर्पित किया जाता है. दीपक रखने के बाद यमराज से परिवार के लोगों की दीर्घायु और उनके जीवन की समस्‍याओं का अंत करने की प्रार्थना करें. जब तक दीपक जले, इसकी निगरानी करें और दीपक के विदा होने के बाद इसे घर के अंदर किसी स्थान पर रख दें.

नरक चौदस पर दीपदान का समय

नरक चतुर्दशी पर यमराज पूजन और चौमुखी दीपक जलाने का शुभ समय शाम 5 बजे से 6 बजे तक रहेगा. शाम को 06 बजकर 43 मिनट से दिवाली की पूजा का अति शुभ समय शुरू हो जाएगा, जो रात 08 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. दिवाली का शुभ समय रात 08 बजकर 40 मिनट से 10:43 मिनट तक रहेगा. दिवाली की पूजा के बाद पूरे घर को दीपदान से रोशन करें. किसी विशेष कार्य सिद्धि के लिए रात में पूजा का शुभ समय 01:21 मिनट से 03:36 मिनट तक रहेगा.