Diwali 2022: दिवाली पर क्यों लक्ष्मी माता के साथ होती है श्री गणेश की पूजा, नारायण की क्यों नहीं?
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की पूजा ही क्यों की जाती है, नारायण की क्यों नहीं? इसके अलावा माता लक्ष्मी की मूर्ति को हमेशा गणपति की दाहिनी साइड पर ही क्यों रखा जाता है? यहां जानिए इन मान्यताओं के बारे में.
Diwali Puja 2022: दिवाली का पर्व इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति को घर पर लाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. लेकिन तमाम लोगों के मन में ये सवाल रहता है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की पूजा ही क्यों की जाती है, नारायण की क्यों नहीं? इसके अलावा माता लक्ष्मी की मूर्ति को हमेशा गणपति की दाहिनी साइड पर ही क्यों रखा जाता है? आइए आपको बताते हैं इस बारे में.
पहले जानें दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन की वजह
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन को लेकर एक कथा प्रचलित है. एक बार माता लक्ष्मी अपने महालक्ष्मी स्वरूप में इंद्रलोक में वास करने पहुंची. माता की शक्ति से देवताओं की भी शक्ति बढ़ गई. इससे देवताओं को अभिमान हो गया कि अब उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता. एक बार इंद्र अपने ऐरावत हाथी पर सवार होकर जा रहे थे, उसी मार्ग से ऋषि दुर्वासा भी माला पहनकर गुजर रहे थे. प्रसन्न होकर ऋषि दुर्वासा ने अपनी माला फेंककर इंद्र के गले में डाली, लेकिन इंद्र उसे संभाल नहीं पाए और वो माला ऐरावत हाथी के गले में पड़ गई. हाथी ने सिर को हिला दिया और वो माला जमीन पर गिर गई. इससे ऋषि दुर्वासा नाराज हो गए और उन्होंने श्राप दे दिया कि जिसके कारण तुम इतना अहंकार कर रहे हो, वो पाताल लोक में चली जाए.
इस श्राप के कारण माता लक्ष्मी पाताल लोक चली गईं. लक्ष्मी के चले जाने से इंद्र व अन्य देवता कमजोर हो गए और दानव मजबूत हो गए. तब जगत के पालनहार नारायण ने लक्ष्मी को वापस बुलाने के लिए समुद्र मंथन करवाया. देवताओं और राक्षसों के प्रयास से समुद्र मंथन हुआ तो इसमें कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरि निकले. इसलिए इस दिन धनतेरस मनाई जाती है और अमावस्या के दिन लक्ष्मी बाहर आईं. इसलिए हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर माता लक्ष्मी की पूजा होती है. चूंकि इसी दिन श्रीराम वनवास से लौटकर अयोध्या वापस आए थे, और उनके आने की खुशी में लोगों ने घरों को दीपक से रोशन किया था, इसलिए कार्तिक मास की अमावस्या पर दिवाली मनाई जाने लगी. इस दिन पहले लक्ष्मी पूजन होता है, इसके बाद दिवाली की खुशी में घर को दीपक से रोशन किया जाता है.
लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा क्यों?
माता लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है. अगर धन और ऐश्वर्य किसी के पास ज्यादा आ जाए तो उसे अहंकार हो जाता है. मति भ्रष्ट हो जाती है. ऐसा व्यक्ति अहंकार के चलते धन को संभाल नहीं पाता. धन और वैभव को सद्बुद्धि के साथ ही साधा जा सकता है. गणपति बुद्धि के देवता हैं. जहां गणपति का वास होता है, वहां के संकट टल जाते हैं और सब कुछ शुभ ही शुभ होता है. इसलिए दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी पूजन किया जाता है, ताकि घर में लक्ष्मी का वास हो और शुभता व समृद्धि बनी रहे.
दिवाली के दिन नारायण की पूजा क्यों नहीं?
दिवाली का त्योहार चातुर्मास के दौरान आता है. इस बीच श्रीहरि योग निद्रा में होते हैं. उनकी निद्रा भंग न हो, इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी माता के साथ उनका आवाह्न नहीं किया जाता. दिवाली के बाद देवउठनी एकादशी पर नारायण की निद्रा समाप्त होती है और वो जाग जाते हैं. इसके बाद जोर-शोर से उनकी पूजा की जाती है और देव दीपावली मनाई जाती है.
लक्ष्मी की मूर्ति गणपति के दायीं तरफ क्यों?
लक्ष्मी माता की कोई संतान नहीं है, इसलिए उन्होंने भगवान गणेश को अपना दत्तक पुत्र माना है. पुत्र के साथ माता को दायीं ओर बैठना चाहिए, जबकि पति के साथ पत्नी बायीं ओर होती है. इसलिए लक्ष्मी नारायण की पूजा के दौरान लक्ष्मी जी को गणपति के दायीं ओर बैठाया जाता है.