दिवाली का पर्व आज 24 अक्‍टूबर को मनाया जा रहा है. आज के दिन माता लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. माना जाता है दिवाली की रात को माता लक्ष्‍मी धरती पर विचरण करती हैं. ऐसे में माता के भक्‍त उनको प्रसन्‍न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. दिवाली के दिन सभी घरों में दीपक जलाए जाते हैं, घर को फूलों से सजाया जाता है और रंगोली बनाने का भी चलन है. माता लक्ष्‍मी को धन और वैभव देने वाली देवी कहा जाता है. मान्‍यता है कि अगर माता लक्ष्‍मी किसी से प्रसन्‍न हो जाएं, तो उसके घर के भंडार हमेशा भरे रहते हैं.

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि दीपावली माता लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने का विशेष दिन है. अगर आप भी माता की कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो घर को साफ सुथरा रखें, मेन गेट के पास रंगोली बनाएं और घर को सुंदर का सजाकर माता के आगमन की तैयारी करें. साथ ही शाम को गणेश पूजन के बाद 8 जगहों पर दीपक जरूर रखें. ये जगह माता लक्ष्‍मी को बेहद प्रिय हैं. ऐसा करने वाले से मां लक्ष्‍मी बेहद खुश होती हैं और उसके घर में ताउम्र अन्‍न-धन, मान-सम्‍मान किसी चीज की कमी नहीं होती. 

 

ये हैं वो 8 जगह

  • दिवाली की रात घर के मुख्य द्वार पर दीपक जरूर जलाना चाहिए क्‍योंकि यहीं से माता लक्ष्‍मी का आगमन होता है. साथ ही द्वार को साफ सुथरा रखें और फूलों, रंगोली आदि से सजाएं. माता लक्ष्‍मी को ये चीजें बेहद प्रिय हैं. 
  • दिवाली की शाम को पूजन के बाद भंडार गृह में दीपक जरूर जलाना चाहिए, भंडार गृह माता लक्ष्‍मी के स्‍थानों में से एक माना गया है. अगर ऐसा किया जाए तो घर में अन्‍न की कभी कोई कमी नहीं रहती. 
  • धन का मतलब लक्ष्‍मी से होता है. जिस स्‍थान पर आपका धन रखा जाता है, वो स्‍थान माता लक्ष्‍मी का होता है. उस जगह पर पूजा के बाद एक दीपक जरूर रखें. इससे माता लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और घर में धन की कभी 
  • आप जिस वाहन को चलाते हैं, वो भी आपकी संपत्ति का ही हिस्‍सा है. उसके पास में भी एक दीपक जरूर रखें. इससे माता लक्ष्‍मी की कृपा रहती है. 
  • नल, कुआं या कोई अन्य पानी के स्रोत घर के पास है, तो उसके पास दीपक जरूर जलाना चाहिए. माता लक्ष्‍मी को प्रकृति का रूप कहा गया है. ऐसे में जल प्रकृति के अभिन्‍न अंगों में से एक है. जल नहीं तो जीवन नहीं.
  • अगर आपके घर के पास कोई मंदिर है तो वहां एक दीपक जरूर रखें. इससे भगवान का आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा. अगर मंदिर नहीं है तो इस दीपक को घर के मंदिर में ही रख दें.
  • पीपल के वृक्ष में 33 कोटि देवताओं का वास होता है. पीपल को नारायण का स्‍वरूप भी माना जाता है. गीता में श्रीकृष्‍ण ने स्‍वयं कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूं. पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक रखने से माता लक्ष्‍मी बेहद प्रसन्‍न रहती हैं क्‍योंकि वो दीपक नारायण को समर्पित होता है.
  • एक दीपक घर के आंगन में मौजूद तुलसी के पौधे के पास रखना चाहिए. तुलसी के पौधे को माता लक्ष्‍मी का रूप माना गया है. इससे माता लक्ष्‍मी और नारायण दोनों की कृपा प्राप्‍त होती है.